जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर व्याख्यान सह जागरूकता संवाद का आयोजन

जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर व्याख्यान सह जागरूकता संवाद का आयोजन
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जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर व्याख्यान सह जागरूकता संवाद का आयोजन


जम्मू, 2 जून (हि.स.)। केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने विश्व पर्यावरण दिवस, 2024 के उपलक्ष्य में जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण पर व्याख्यान सह जागरूकता संवाद का आयोजन किया। कार्यक्रम में पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी) हब और पारिस्थितिकी, पर्यावरण और रिमोट सेंसिंग विभाग (जेकेडीईईआरएस), जम्मू और कश्मीर ने सहयोग किया। विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का विषय भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता है।

जेकेडीईईआरएस के वैज्ञानिक डॉ. माजिद फारूक ने इस विषय पर व्याख्यान दिया और जलवायु परिवर्तन की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की और जलवायु परिवर्तन से निपटने और हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने में सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया। विभागाध्यक्ष प्रो. ऋचा कोठारी ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया तथा इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रत्येक व्यक्ति को संधारणीय जीवनशैली अपनानी चाहिए। उन्होंने जलवायु अनुकूल समुदायों के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। एसकेयूएएसटी, जम्मू के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के प्रो. आर. के. श्रीवास्तव ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई तथा अपने विचार साझा किए।

ईवीएस के संकाय डॉ. अंकित टंडन ने बताया कि हाल की रिपोर्टें जम्मू-कश्मीर के घाटी वाले हिस्से की तुलना में पहाड़ी क्षेत्र में तापमान वृद्धि की उच्च दर का संकेत दे रही हैं, जो अंततः हिमालय के उच्च क्षेत्रों में प्रजातियों की विविधता में परिवर्तन ला सकती है। ईवीएस के संकाय डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि हिमालय पर चरम मौसम की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने तथा उनका विश्लेषण करने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग किया जाना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

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