सरकारी संगठनों के बीच समन्वय की कमी चिंता का विषय : सुखनंदन

सरकारी संगठनों के बीच समन्वय की कमी चिंता का विषय : सुखनंदन
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सरकारी संगठनों के बीच समन्वय की कमी चिंता का विषय : सुखनंदन


जम्मू, 6 दिसंबर (हि.स.)। ऐसे समय में जब लोगों को नल के माध्यम से पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में एक बड़ी आबादी अच्छी सड़क कनेक्टिविटी से वंचित है। इससे पहले ब्लैक टॉप और पक्की सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चौधरी सुखनंदन कुमार ने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) लक्ष्यों को प्राप्त करने से यदि सड़क की सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान होता है, जो करदाताओं पर बोझ है, तो यह विकास नहीं बल्कि पूर्ण कुशासन का मामला है।

बुधवार को भाजपा पार्टी मुख्यालय में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए सुखनंदन ने कहा कि भारत के हर घर में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने लगभग 4 साल पहले जल जीवन मिशन (जेजेएम) शुरू किया था। यह केंद्र प्रायोजित योजना औपचारिक रूप से 15 अगस्त 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी। जेजेएम का उद्देश्य 2024 तक भारत के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 'कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन' (एफएचटीसी) प्रदान करना है। हालाँकि जम्मू-कश्मीर में जेजेएम परियोजनाओं को क्रियान्वित करते समय विभिन्न सरकारी संगठनों और इंजीनियरिंग विंगों के बीच समन्वय की कमी के कारण बहुत अधिक अराजकता और भ्रम है।

पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि पानी की पाइप बिछाने में बड़ा घोटाला हुआ है क्योंकि खुदाई का काम मशीनी तरीके से किया जाता है जबकि पीएचई विभाग को मैनुअल खुदाई का पैसा मिलता है ताकि सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त न हों। सुखनंदन कुमार ने आम जनता को असुविधा के लिए अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि इसकी गहन जांच की जरूरत है कि पानी के पाइप बिछाने के लिए हर जगह सड़कों को खोदने के लिए जेसीबी और यांत्रिक उपकरणों को क्यों तैनात किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

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