पुस्तकालयों में भारतीय संतों के जीवन पर आधारित पुस्तकें रखने पर जोर

पुस्तकालयों में भारतीय संतों के जीवन पर आधारित पुस्तकें रखने पर जोर
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पुस्तकालयों में भारतीय संतों के जीवन पर आधारित पुस्तकें रखने पर जोर


जम्मू, 27 जून (हि.स.)। गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय सचिव बलबीर राम रतन ने नानाजी देशमुख पुस्तकालय प्रभारी प्रो. (डॉ.) कुलभूषण मोहत्रा से बातचीत करते हुए कहा कि पुस्तकालयों में भारतीय संतों के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित पुस्तकें भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत महान संतों की भूमि है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन भाईचारे, सामाजिक समानता और सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए समर्पित कर दिया। इन संतों ने समाज को नई दिशा दी और सभी धर्मों के लोगों को सद्भाव से रहने, दूसरों के साथ समान व्यवहार करने, अपनी संस्कृति का सम्मान करने और सामाजिक बंधनों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया।

बलबीर ने कहा कि पुस्तकालय एक ऐसी जगह है, जहां सभी क्षेत्रों के लोग, खासकर शोधकर्ता, विद्वान, शिक्षाविद, छात्र आते हैं और अपनी पसंद और आवश्यकता के अनुसार अध्ययन सामग्री पाते हैं। उन्होंने कहा कि पाठकों को अकादमिक और प्रतियोगी उद्देश्यों के लिए पुस्तकों के अलावा भारतीय संतों के जीवन पर आधारित पुस्तकें भी मिलनी चाहिए। यह बात उन्होंने जम्मू के त्रिकुटा नगर स्थित नाना जी देशमुख पुस्तकालय में प्रो. (डॉ.) कुलभूषण मोहत्रा को गुरु रविदास के जीवन पर आधारित पुस्तकों का एक सेट सौंपते हुए कही। इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) कुलभूषण मोहत्रा ने बताया कि पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर बड़ी संख्या में पुस्तकें हैं और बड़ी संख्या में लोग पुस्तकालय में आते हैं, क्योंकि उन्हें बिना किसी शुल्क या प्रभार के पुस्तकें मिल जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अधिक से अधिक पुस्तकों को जोड़कर पुस्तकालय का विस्तार किया जा रहा है और पुस्तकालय के रखरखाव तथा भविष्य के लिए पुस्तकों को संरक्षित करने का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

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