जेकेएएसीएल ने प्रो. राज कुमार की आत्मकथा देह धारन का दंड का विमोचन किया

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जेकेएएसीएल ने प्रो. राज कुमार की आत्मकथा देह धारन का दंड का विमोचन किया


जम्मू, 21 अप्रैल (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी (जेकेएएसीएल) ने सोमवार को केएल सहगल हॉल में प्रसिद्ध शिक्षाविद और साहित्यकार प्रो. राज कुमार द्वारा लिखित आत्मकथा देह धारन का दंड का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में जेकेएएसीएल की सचिव हरविंदर कौर ने पद्मश्री प्रो. ललित मंगोत्रा, पूर्व अतिरिक्त सचिव डॉ. अरविंदर सिंह अमन, स्वर्ण कांता (लेखक की पत्नी) और जेकेएएसीएल की हिंदी संपादक डॉ. चंचल शर्मा की उपस्थिति में पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया।

कौर ने हिंदी साहित्य में प्रो. राज कुमार के आजीवन योगदान की सराहना की और पुस्तक को बौद्धिक और आध्यात्मिक धीरज की गहन कथा बताया। प्रो. मंगोत्रा ​​ने आत्मकथा की ईमानदारी और गहराई की प्रशंसा करते हुए इसे पाठकों के आत्मनिरीक्षण का दर्पण बताया। डॉ. अमन ने पुस्तक के विषयगत सार पर प्रकाश डाला जिसमें व्यक्तिगत परीक्षणों को दार्शनिक चिंतन के साथ जोड़ा गया है जबकि साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता राजेश्वर सिंह राजू ने इसके साहित्यिक महत्व की विश्लेषणात्मक समीक्षा प्रस्तुत की।

बताते चलें कि जम्मू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो. राज कुमार ने एक विद्वान, लेखक और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के संस्थापक संकाय सदस्य के रूप में प्रमुख योगदान दिया है। उनकी पिछली रचनाएँ कथा साहित्य, कविता और सांस्कृतिक अध्ययन में फैली हुई हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

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