चिनाब घाटी में आतंकी खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा बलों ने सतर्कता बढ़ाई

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जम्मू, 31 दिसंबर (हि.स.)। शून्य से नीचे तापमान के बावजूद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) ने नए साल के जश्न में बाधा डालने के आतंकवादियों के किसी भी प्रयास का मुकाबला करने के लिए चिनाब घाटी जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी निगरानी बढ़ा दी है।

राजौरी और पुंछ जिलों के अलावा, बर्फीले इलाकों और आसपास के उधमपुर, रियासी और कठुआ जिलों सहित चिनाब घाटी के डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों के ऊपरी इलाकों में पिछले सप्ताह से बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी अभियान चल रहा है। खुफिया आकलन के अनुसार लगभग 30 से 35 पाकिस्तानी आतंकवादी वर्तमान में जम्मू क्षेत्र के जंगलों में सक्रिय हैं और ऊंचाई वाले इलाकों में हाल ही में हुई बर्फबारी के बाद उन्हें बाहर निकालने का अभियान तेज हो गया है। सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि पहाड़ी दर्रों के पूरी तरह से बंद होने से पहले आतंकवादी मानव आवास के करीब निचले इलाकों में चले जाएंगे।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि खुफिया सूचनाओं से पता चला है कि पिछले दो वर्षों से डोडा, किश्तवाड़ और भद्रवाह की सीमा से लगे उधमपुर जिले के कुछ हिस्सों में सक्रिय आतंकवादी समूह घने कोहरे, अत्यधिक ठंड और कठिन इलाके का फायदा उठाकर नए साल के जश्न को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियान ऊंचे मध्य और ऊपरी पहाड़ी इलाकों पर केंद्रित हैं, जहां माना जाता है कि आतंकवादी आबादी वाले इलाकों से दूर छिपे हुए हैं। राष्ट्रीय राइफल्स और एसओजी के जवानों का तेज किया गया अभियान पड़ोसी हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की सीमा से लगे भलेसा तक भी फैल गया है।

भल्लेसा के स्थानीय निवासियों ने कठोर सर्दियों और कठिन पहाड़ी इलाकों जैसी कठिन परिस्थितियों के बावजूद कड़ी निगरानी बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय राइफल्स और एसओजी के जवानों की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें सेना पर पूरा भरोसा है। गंदोह भलेसा के एक स्थानीय निवासी फिरदौस खांडे ने कहा कि जब पूरी दुनिया 2026 का स्वागत करने की तैयारी कर रही है, तो हमारी बहादुर भारतीय सेना और डोडा और किश्तवाड़ जिलों में जम्मू-कश्मीर पुलिस इन कठोर सर्दियों के दिनों को घने जंगलों और कठिन पहाड़ी इलाकों में निरंतर आतंकवाद विरोधी अभियानों में बिता रही है।

भाजपा नेता और भद्रवाह विधायक दलीप सिंह परिहार ने कहा कि हम उन सुरक्षाकर्मियों को सलाम करते हैं, जो न केवल राष्ट्रीय सीमाओं की बल्कि पहाड़ों में रहने वाली बिखरी हुई आबादी की रक्षा के लिए अपने परिवारों से दूर छुट्टियां बिताते हैं। परिहार ने कहा कि अगर हम यहां शांतिपूर्ण माहौल में रह रहे हैं और दुनिया में अन्य जगहों की तरह नए साल का जश्न मना रहे हैं, तो यह केवल इसलिए है क्योंकि हमें विश्वास है कि सेना हमारी रक्षा के लिए यहां है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता

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