भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले व्यक्ति या समूह भविष्य में भी प्रतिबंधों के अधीन रहेंगे - उपराज्यपाल

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भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले व्यक्ति या समूह भविष्य में भी प्रतिबंधों के अधीन रहेंगे - उपराज्यपाल


भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले व्यक्ति या समूह भविष्य में भी प्रतिबंधों के अधीन रहेंगे - उपराज्यपाल


श्रीनगर, 13 सितंबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले व्यक्ति या समूह भविष्य में भी प्रतिबंधों के अधीन रहेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार घाटी में पत्थरबाजी को खत्म करने में सफल रही है जबकि आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने के प्रयास जारी हैं।

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि मीरवाइज उमर फारूक की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है और वह कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं। मैं दोहराता हूं कि मीरवाइज उमर फारूक की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हां अगर उन्हें अपनी जान को कोई खतरा महसूस होता है और सुरक्षाकर्मी उन्हें अपनी आवाजाही सीमित रखने की सलाह देते हैं, तो मामला अलग है। उन्हें खुद तय करना होगा कि उन्हें बाहर निकलना चाहिए या नहीं। उनके साथ तैनात सुरक्षाकर्मी फैसला ले सकते हैं लेकिन मेरी तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है। यह केवल मीरवाइज का मामला नहीं है, सरकार ने जम्मू-कश्मीर में किसी भी धार्मिक व्यक्ति या राजनेता पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। हालांकि उन्होंने कहा कि प्रतिबंध उन व्यक्तियों और समूहों पर जारी रहेंगे जो भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं और इस तरह के प्रतिबंध भविष्य में भी जारी रहेंगे।

उपराज्यपाल ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पत्थरबाजी बंद हो गई है जबकि आतंकवाद अभी भी कुछ क्षेत्रों में मौजूद है। सुरक्षाबलों पर हमले हो रहे हैं और लक्षित हत्याओं की घटनाएं कभी-कभी होती हैं। पहले कश्मीर और वहां का आतंकवाद भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय था और जब मैंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल का पद संभाला तो मेरे लिए स्थिति को नियंत्रित करना एक चुनौती थी। लेकिन आज मैं कह सकता हूं कि जम्मू-कश्मीर में कोई भी शीर्ष आतंकवादी कमांडर जीवित नहीं है। सभी मारे गए हैं। पत्थरबाजी खत्म हो गई है। बचे हुए आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करने के प्रयास जारी हैं। सरकार ने इस मोर्चे पर काफी कुछ हासिल किया है।

उन्होंने कहा कि केवल आतंकवाद को खत्म करने से मामले का समाधान नहीं हो सकता है बल्कि एक अच्छी रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र का हमेशा के लिए सफाया हो जाए। जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम श्रीनगर में हुए और चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए। इससे हमारा पड़ोसी निराश हो गया जिसने उसी हिसाब से रणनीति बनाई थी। उन्होंने अपने नापाक मंसूबों को जारी रखने के लिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों को भेजना शुरू कर दिया है लेकिन मैं जम्मू-कश्मीर और भारत के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इन घुसपैठियों को वापस वहीं भेजा जाएगा जहां से वे आए हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि हम शांति खरीदने में विश्वास नहीं करते बल्कि यह अभी स्थापित होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह

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