कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार: गिरधारी लाल रैना
जम्मू, 8 सितंबर (हि.स.)। कश्मीर को कश्मीरी पंडितों के बिना अधूरा और कश्मीरी पंडितों को कश्मीर के बिना अधूरा बताते हुए भाजपा के कश्मीरी पंडित विभाग के अध्यक्ष गिरधारी लाल रैना ने कांग्रेस को कश्मीर से विस्थापन के लिए जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी और उसके नेतृत्व का आभार जताया है कि पार्टी ने 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने संकल्प पत्र में समुदाय की समस्याओं को व्यापक तरीके से शामिल किया है।
जम्मू में रविवार को पार्टी के चुनाव वार रूम में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व एमएलसी और पार्टी के कश्मीरी पंडित विभाग के अध्यक्ष जीएल रैना ने संकल्प पत्र को दशकों में किसी भी राजनीतिक संगठन द्वारा जारी सर्वश्रेष्ठ दस्तावेज बताया और इसे ऐतिहासिक करार दिया। उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी मीडिया प्रभारी डॉ. प्रदीप महोत्रा, हीरालाल भट, चांद जी भट और स्वीटी कौल भी मौजूद थे। रैना ने कहा कि बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों की निर्वासन प्रक्रिया को स्वीकार किया है और ऐसे उपायों का वादा किया है, जो समुदाय की अपने मूल स्थान पर वापसी और पुनर्वास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।
रैना ने कहा कि बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों के निर्वासन को एक गंभीर प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया है और ऐसे ठोस कदम उठाने का वादा किया है, जो अंततः समुदाय की अपने पैतृक स्थान पर वापसी और पुनर्वास को सुनिश्चित करेंगे। यह प्रक्रिया उन घटनाओं को उलटने का प्रयास करेगी जिनके कारण कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से विस्थापित होना पड़ा। समुदाय की लगभग हर समस्या और उसकी आकांक्षाओं को ध्यान में रखा है। चाहे वह आतंकवाद से प्रभावित सभी लोगों के लिए एक ‘शवेत पेपर’ जारी करने की मांग हो, जिसके माध्यम से मामलों को तेजी से निपटा कर न्याय सुनिश्चित किया जा सके, दोषियों को सजा दिलाई जा सके, और केंद्र शासित प्रदेश में कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
कश्मीरी पंडितों की बहुप्रतीक्षित 'ऋषि कश्यप यात्रा' की बहाली के तहत मंदिरों और धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण का भी वादा किया है। साथ ही, 'टीका लाल टपलू विस्थापित समाज पुनर्वास योजना' की शुरुआत का भी जिक्र किया गया है, जो समुदाय के पुनर्वास के लिए एक बड़ा कदम होगा। इसके अतिरिक्त, कश्मीर में ‘शारदा विश्वविद्यालय’ की स्थापना, बेदखल समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए एक कल्याण बोर्ड का गठन, और पीएम पैकेज कर्मचारियों की चिंताओं का समाधान भी संकल्प पत्र में शामिल हैं।
रैना ने कहा कि बीजेपी ने यह भी वादा किया है कि वे पीड़ित परिवारों को दी जाने वाली मासिक सहायता में वृद्धि करेंगे, जो कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति का प्रतीक है। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर में अपनी सरकार बनने के बाद कश्मीरी पंडितों को स्थानीय चुनावों में भाग लेने की अनुमति देने के लिए नए तरीके खोजने का भी प्रयास करेगी, जिससे उन्हें अपने निवास स्थान पर मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर मिलेगा।
रैना ने कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए संकल्प पत्र की सराहना करते हुए कहा कि यह दस्तावेज़ न केवल उनके लिए एक आशा की किरण है, बल्कि इसमें अल्पसंख्यक आयोग को मजबूत या स्थापित करने का भी वादा किया है, जिससे जम्मू-कश्मीर में हिदू, सिख और बौद्ध समुदायों के अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
उन्होंने कहा कि पर्यटन सर्किट्स को बढ़ावा देना, जैसे सोनमर्ग, पहलगाम, मार्तंड (मटन), शारदा पीठ, के साथ-साथ वितस्ता आरती, गंगा बल यात्रा का आयोजन, और शारदा और टकरी लिपियों को संरक्षित और प्रोत्साहित करना कुछ अन्य सराहनीय कदम हैं। रैना ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद का खात्मा और रोजगार के अवसर पैदा करना, साथ ही गरीबों के कल्याण के लिए उठाए गए कदम, भी 25 वादों का हिस्सा हैं, जो नए जम्मू-कश्मीर के निर्माण में योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी वादों से कश्मीरी पंडित समुदाय को भी लाभ पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि हम फिर से भारतीय जनता पार्टी का धन्यवाद करते हैं, जिसने इतने विस्तृत और समर्पित संकल्प पत्र को तैयार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही कश्मीरी पंडितों की विस्थापन के लिए मुख्य जिम्मेदार है, क्योंकि जब-जब कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हुए और उन्हें घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, तब केंद्र में कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकारें थीं।
उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। उन्होंने आतंकवाद के खात्मे को संकल्प पत्र में सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की सराहना की, क्योंकि इससे ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी संभव हो सकेगी। रैना ने अंत में कहा, कश्मीर हमारे बिना अधूरा है और हम कश्मीर के बिना अधूरे हैं। कांग्रेस ही हमारी सभी मुसीबतों की जड़ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब बीजेपी कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए पिछले दस वर्षों से लगातार प्रयास कर रही है, और 8 अक्टूबर के बाद जब जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की सरकार बनेगी, तो इन प्रयासों को नई गति मिले
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा
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