कांग्रेस ने केंद्रीय बजट की आलोचना की

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जम्मू, 1 फ़रवरी (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति (जेकेपीसीसी) ने केंद्रीय बजट की कड़ी आलोचना की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि इसमें जम्मू-कश्मीर की ज़रूरतों की अनदेखी की गई है जहाँ लोग - ख़ासकर युवा - गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। पार्टी ने कहा कि सीमा क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करने के बजाय बजट राजनीति से प्रेरित प्रतीत होता है जिसमें आगामी चुनावों के कारण बिहार और दिल्ली पर ध्यान केंद्रित किया गया है

प्रदेश पार्टी प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जम्मू और कश्मीर में देश में दूसरी सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर है जहाँ हज़ारों युवा कम वेतन पर संघर्ष कर रहे हैं और नौकरी के नियमित होने का इंतज़ार कर रहे हैं। इसके बावजूद बजट में रोज़गार पैदा करने या क्षेत्र को आर्थिक राहत प्रदान करने के लिए कोई ठोस उपाय पेश करने में विफल रहा

पार्टी ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आवश्यक वस्तुओं पर करों को कम करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की जिससे मध्यम और निम्न आय वर्ग पर और बोझ पड़ा। आयकर स्लैब में मामूली राहत तो दी गई लेकिन आय बढ़ाने, रोजगार के अवसर प्रदान करने या वित्तीय तनाव को कम करने के लिए कर रियायतें देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए पार्टी ने जनता को सालाना दो करोड़ नौकरियों के अधूरे वादे की याद दिलाई और पिछले एक दशक में रोजगार सृजन की कमी पर सवाल उठाया।

उन्होंने आगे कहा कि किसान भी निराश हैं क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने या फसल बीमा योजना में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। पार्टी ने बड़े डिफॉल्टरों के 16 लाख करोड़ रुपये के कथित कर्ज माफ करने और बीज, खाद और कीटनाशकों पर सब्सिडी पाने के लिए संघर्ष करने वाले किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे बताया कि बजट में जम्मू-कश्मीर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं और अन्य अस्थायी कर्मचारियों के कल्याण की अनदेखी की गई जो नियमित किए बिना कठिन परिस्थितियों में काम करना जारी रखते हैं। पार्टी ने इन कमजोर समूहों के लिए विशेष सहायता की मांग की और इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर के पीड़ित लोग केंद्रीय बजट में अधिक ध्यान देने के हकदार हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा

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