भाजपा ओबीसी मोर्चा ने धर्म-आधारित आरक्षण की निंदा की

भाजपा ओबीसी मोर्चा ने धर्म-आधारित आरक्षण की निंदा की
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भाजपा ओबीसी मोर्चा ने धर्म-आधारित आरक्षण की निंदा की


जम्मू, 23 मई (हि.स.)। भाजपा ओबीसी मोर्चा, जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश ने धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय को आरक्षण देने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है। उनका दावा है कि यह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा को कमजोर करता है। वीरवार को मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सुनील प्रजापति ने कहा कि मूल रूप से 2011 में लागू किए गए इस कदम की भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) की भावना के साथ-साथ मंडल आयोग की सिफारिशों और ओबीसी आरक्षण के संबंध में 1992 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।

प्रजापति ने संगठन की चिंताओं को उठाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के हालिया फैसले पर प्रकाश डाला, जिसने ओबीसी कोटा के तहत 118 मुस्लिम जातियों के आरक्षण को अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया। कोर्ट ने 2010 के बाद से जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने का आदेश दिया है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि आरक्षण मंडल आयोग की सिफारिश के अनुसार सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए, न कि धर्म के आधार पर।

प्रजापति ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर अल्पसंख्यक समुदाय को असंवैधानिक आरक्षण देकर वोट बैंक की राजनीति में संलग्न होने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति है, जिससे ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है। अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशियों सहित मुसलमानों को लगभग 5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्र अवैध रूप से जारी किए जाने को एक प्रमुख चिंता के रूप में उजागर किया गया था।

प्रजापति ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करके और सत्ता बनाए रखने के लिए धार्मिक आधार पर आरक्षण प्रदान करके ओबीसी आरक्षण के सही दावेदारों को चालाकी से धोखा दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की हरकतें देश कभी स्वीकार नहीं करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

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