संस्कृति का प्रमाणिक दस्तावेज: हिमाचल प्रदेश का सांस्कृतिक इतिहास
मंडी, 18 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के सांस्कृतिक परिदृश्य पर आधारित शोधपरक आलेखों की श्रृंखला से आबद्ध डॉ. हिमेन्द्र बाली की नई पुस्तक हिमाचल प्रदेश का सांस्कृतिक इतिहास पाठकों व शोधार्थियों के लिये उपलब्ध है। यह पुस्तक हिमाचल के सांस्कृतिक स्वरूप को वास्तविक रूप में प्रस्तुत कर यहां की पारम्परिक व्यवस्था का सजीव चित्रण करती है। सुकेत संस्कृति साहित्य और जन कल्याण मंच पांगणा-सुुकेत के अध्यक्ष डाॅक्टर हिमेंद्र बाली का कहना है कि हिमाचल का जनमानस जहां देव संस्कृति के सुदृढ़ ढांचे में बन्ध कर लौकिक जीवन के क्रियाकलापों को सम्पन्न करता है वहीं यहां के पर्व व मेले युग-युगीन के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहलुओं को लोकसाहित्य में सुरक्षित रखे हुए है। पुस्तक में कुल 13 शोध आलेख संग्रहीत हैं जो हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्र का आदि इतिवृत, इतिहास एवम् परम्पराओं के माध्यम से तथ्यपूर्ण परिचय सुलभ कराते हैं।
मेले व त्यौहार समाज के सांस्कृतिक जीवन के आधार होते हैं। इनमें जहां लोक को आध्यात्मिक पुष्टि प्राप्त होती है वहीं इनमें युगीय ऐतिहासिक घटनाओं से जनित परम्पराओं के दर्शन होते हैं। मेले व त्यौहार एक ऐसा धार्मिक समागम होता है जिसकी आनुष्ठानिक व्यवस्था ऐतिहासिक घटनाओं और शास्त्रविहित धार्मिक मान्यताओं से संचालित होती है।
संस्कृति मर्मज्ञ डाॅक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि देव संस्कृति व देव परंपराओं पर आधारित डाॅक्टर हिमेंद्र बाली हिमकी यह चौथी किताब गांव की देव समाज से जुड़ी युवा पीढ़ी के साथ विश्वविद्यालय के शोद्धार्थियो॔, विद्यार्थियों को देव संस्कृति,देव परंपराओं,देवता के पौराणिक इतिहास प्रकृति, जनजीवन, देव समाज और ज्ञानवर्धक बातों से परिचित करवाने में स्तुत्य योगदान करेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

