नैतिक पशु चिकित्सा पद्धतियां एवं पशु कल्याण अत्यंत आवश्यक : कुलपति

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नैतिक पशु चिकित्सा पद्धतियां एवं पशु कल्याण अत्यंत आवश्यक : कुलपति


धर्मशाला, 17 दिसंबर (हि.स.)। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में पशु चिकित्सा इंटर्न विद्यार्थियों के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का बुधवार को समापन हुआ। “अश्व कल्याण, व्यवहार एवं करुणामय हैंडलिंग, अश्व पालन प्रबंधन एवं फेरियरी” विषय पर यह प्रशिक्षण विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया। समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. पांडा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पशु कल्याण, नैतिक पशु चिकित्सा पद्धतियाँ एवं करुणामय व्यवहार पेशेवर उत्कृष्टता के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने क्षेत्र-उन्मुख ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को व्यावहारिक पशु चिकित्सा शिक्षा को सुदृढ़ करने में अत्यंत उपयोगी बताया।

प्रशिक्षण के दौरान घोड़ों के स्वास्थ्य प्रबंधन से जुड़े प्रमुख विषयों जैसे कोलिक, सुर्रा (ट्राइपैनोसोमायसिस), अश्व व्यवहार के पहलू, खुर संक्रमण, लंगड़ापन तथा फेरियरी पर विस्तृत जानकारी दी गई, जिसमें निवारक एवं उपचारात्मक दोनों दृष्टिकोणों पर विशेष बल दिया गया।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ब्रूक इंडिया, जो घोड़ा कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत एक अग्रणी संस्था है, के सहयोग से आयोजित किया गया। ब्रूक इंडिया के डॉ. वीरेंद्र वर्मा एवं डॉ. सौरव भारती ने घोड़ों के मानवीय प्रबंधन, वैज्ञानिक पालन पद्धतियों, व्यवहार तथा नालबंदी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।

पशु चिकित्सा इंटर्न विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण में उत्साहपूर्वक भाग लिया तथा कार्यक्रम को जानकारीपूर्ण, व्यावहारिक एवं क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुरूप बताया। समापन अवसर पर कुलपति द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए जिससे प्रशिक्षण का औपचारिक समापन हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया

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