भगवान भोजन नहीं भाव के भूखे, पूबोवाल में कथा का दूसरा दिन

भगवान भोजन नहीं भाव के भूखे, पूबोवाल में कथा का दूसरा दिन
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भगवान भोजन नहीं भाव के भूखे, पूबोवाल में कथा का दूसरा दिन


भगवान भोजन नहीं भाव के भूखे, पूबोवाल में कथा का दूसरा दिन










ऊना, 30 मई (हि. स.)। श्री राधा-कृष्ण मंदिर ठाकुरद्वारा पूबोवाल में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन भी प्रवचनों की रसवर्षा हुई। वेदब्यास राज नंदिनी किशोरी ने कहा कि भगवान किसी भोजन नही, बल्कि भाव के भूखे है और अभिमान को तो भगवान कभी सहन नहीं करते। जिस व्यक्ति ने भी जीवन मे अभिमान किया उसका विनाश निश्चित है। जैसे कि हमने देखा है कि एक पुष्प डाल से जुड़ा रहता है तभी तक जब तक वह अपने मुख को बंद करके रखता है, लेकिन जिस दिन वह अपने मुख को फैलाता है तो उसी दिन वह जमीन पर गिर जाता है। कहने का तातपर्य ये है कि भगवान अभिमान सहन नही करते। भगवान ने अपनी प्राणप्रिय गोपियों के भी अभिमान को सहन नही किया, उनके सामने तो हम नादान बच्चे हैं।

उन्होने कहा इसलिए जहां तक हो हमें किसी भी तरह के अभिमान से बचना चाहिए। इस दौरान कथा में वेद व्यास जी ने भागवत की नारद जी के पूर्व चरित्र को सुनकर रचना और महाभारत का प्रसंग सुनाया। फिर आरती के साथ कथा दूसरे दिन की कथा सम्पूर्ण हुई। जिसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/विकास/सुनील

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