पूर्व भाजपा सरकार की हिमकेयर और सहारा योजनाओं को मजबूत करेगी सुक्खू सरकार
शिमला, 9 सितंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में शुरू की गई दो महत्वाकांक्षी योजनाओं हिमकेयर और सहारा का मुद्दा सोमवार को हिमाचल विधानसभा में गूंजा। वर्तमान कांग्रेस की सरकार इन दोनों योजनाओं में सुधार लाकर इन्हें मजबूत करेगी ताकि पात्र और असहाय लोगों को इस योजना का वास्तव में लाभ मिल सके। यह घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान हिमकेयर और सहारा योजना को लेकर विधायक सुधीर शर्मा, राकेश जम्वाल, इंद्र सिंह गांधी, त्रिलोक जम्वाल और रणधीर शर्मा द्वारा पूछे गए मूल प्रश्न के जवाब में हस्तक्षेप हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमकेयर योजना में गड़बड़ियों, खासकर निजी अस्पतालों को पहुंचाए जा रहे लाभ की शिकायतों के बाद सरकार ने इस योजना में सुधार का निर्णय लिया है। इसी के तहत सरकार ने निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत इलाज की सुविधा को वापस ले लिया है। साथ ही कर्मचारियों को भी हिमकेयर योजना के तहत इलाज की सुविधा से बाहर कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया पूर्व सरकार ने राज्य के 137 निजी स्वास्थ्य संस्थानों को हिमकेयर योजना के तहत इलाज के लिए इंपैनल्ड किया था ताकि उन्हें अधिक पैसा दिया जा सके।
सुक्खू ने कहा कि हिमकेयर योजना की 355 करोड़ रुपए की देनदारियां अभी भी लंबित हैं। इनमें से 127 करोड़ रुपए से अधिक की देनदारियां निजी स्वास्थ्य संस्थानों की हैं, जबकि 227 करोड़ रुपए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने हिमकेयर योजना के तहत आईजीएमसी, टांडा और पीजीआई के लिए 60 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है।
हिमकेयर योजना में गड़बड़ियों की कमेटी कर रही जांच।
उन्होंने कहा कि हिमकेयर योजना में हुई गड़बड़ियों की कैबिनेट की सब कमेटी जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू करेगी और केबिनेट सब कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि गड़बड़ियां सिर्फ हिमकेयर योजना में ही नहीं, आयुष्मान भारत योजना में भी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार सहारा योजना को और मजबूत करेगी। साथ ही अपात्र लोगों को इससे बाहर भी किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने जब सत्ता संभाली थी तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल था। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकांश स्वास्थ्य संस्थान रैफरल अस्पताल बन गए थे और अंत में रोगियों को पीजीआई रैफर कर दिया जाता था। हमारी सरकार ने इस पर विचार किया और टांडा तथा आईजीएमसी जैसे संस्थान को मजबूत करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए बेस्ट हैल्थ सिस्टम अपनाने जा रही है। इसमें रोबोटिक सर्जरी मुख्य है।
200 डॉक्टरों की लोकसेवा आयोग से होगी भर्ती
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आईजीएमसी और टांडा में बड़े पैमाने पर डाक्टरों और नर्सों की भर्तियां करने जा रही हैं। इसके तहत 200 डॉक्टरों की भर्ती के लिए लोकसेवा आयोग को सिफारिश भी भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि नियमित भर्तियां होने तक इन दोनों संस्थानों में सरकार डॉक्टरों और नर्सों की आउटसोर्स आधार पर भर्तियां की जाएंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा
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