हिमाचल में रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, बर्खास्तगी मामले पर बढ़ा टकराव

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हिमाचल में रेजिडेंट डॉक्टर कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, बर्खास्तगी मामले पर बढ़ा टकराव


शिमला, 26 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में शनिवार से इलाज पर बड़ा संकट खड़ा होने जा रहा है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला से शुरू हुई रेजिडेंट डॉक्टरों की नाराजगी अब प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल गई है। मरीज से मारपीट मामले में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर की बर्खास्तगी रद्द करने की मांग को लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों ने 27 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।

मुख्यमंत्री से बातचीत और आश्वासन के बावजूद रेजिडेंट डॉक्टर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और 27 दिसंबर सुबह 9:30 बजे से प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है।

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) आईजीएमसी शिमला के अनुसार हड़ताल के दौरान सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी, नियमित सेवाएं और वैकल्पिक ऑपरेशन थिएटर पूरी तरह बंद रहेंगे। केवल आपातकालीन सेवाएं जारी रखी जाएंगी। डॉक्टरों की इस हड़ताल से प्रदेश के अस्पतालों में हालात बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है और मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर ऑपरेशन और नियमित इलाज प्रभावित हो सकते हैं।

आईजीएमसी शिमला में शुक्रवार को भी डॉक्टरों के एक दिवसीय सामूहिक अवकाश का असर साफ दिखाई दिया। ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारें लगी रहीं, कई मरीजों को बिना इलाज लौटना पड़ा और अस्पताल में अव्यवस्था की स्थिति बनी रही। यही हाल अन्य मेडिकल कॉलेजों और बड़े अस्पतालों में भी देखने को मिला।

रेजिडेंट डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर कॉलेज प्रशासन को लिखित सूचना दे दी है। आरडीए का कहना है कि शुक्रवार को आरडीए, हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (एचएमओए) और सैमडकोट शिमला के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से शिमला स्थित ओक ओवर में मुलाकात की। इस दौरान आईजीएमसी में हुई हालिया घटना, सुरक्षा व्यवस्था में खामियां और डॉक्टरों की बर्खास्तगी से जुड़े तथ्यों पर विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने सभी साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया, लेकिन रेजिडेंट डॉक्टर इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं हुए और हड़ताल का फैसला बरकरार रखा।

रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि आईजीएमसी में हुई घटना के बाद अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। उनके अनुसार अस्पताल के भीतर कथित तौर पर भीड़ ने दबाव बनाया, डराने-धमकाने की स्थिति बनी और डॉक्टरों के लिए काम करना असुरक्षित हो गया। आरडीए का कहना है कि सीसीटीवी कवरेज और सुरक्षा से जुड़ी खामियों को पहले भी प्रशासन के सामने उठाया गया था, लेकिन समय रहते सुधार नहीं किया गया, जिसके चलते यह गंभीर स्थिति पैदा हुई।

आरडीए की प्रमुख मांग सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरूला की बर्खास्तगी को तुरंत रद्द करने की है। इसके साथ ही अस्पताल परिसर में कथित तौर पर हुई भीड़ की गतिविधियों, सरकारी संपत्ति को नुकसान, डॉक्टर को जान से मारने और देश छोड़ने की धमकी देने के आरोपों की निष्पक्ष जांच और कानूनी कार्रवाई की मांग भी की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक इन मांगों पर ठोस फैसला नहीं लिया जाता, तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।

डॉक्टरों ने साफ किया है कि उनका आंदोलन मरीजों के खिलाफ नहीं है, बल्कि डॉक्टरों की सुरक्षा, सम्मान और न्याय के लिए है। उनका कहना है कि यदि अस्पतालों में भय का माहौल रहेगा तो इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ेगा।

गौरतलब है कि यह पूरा विवाद 22 दिसंबर को शुरू हुआ था, जब चौपाल उपमंडल के कुपवी क्षेत्र के निवासी अर्जुन पंवार इलाज के लिए आईजीएमसी पहुंचे थे। आरोप है कि वार्ड में लेटने को लेकर डॉक्टर और मरीज के बीच कहासुनी हुई, जो मारपीट में बदल गई। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल में तनाव फैल गया और मरीज के परिजन व स्थानीय लोग बड़ी संख्या में आईजीएमसी पहुंचे।

सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच करवाई और 24 दिसंबर को जारी आदेश में कहा कि प्रारंभिक जांच, वीडियो फुटेज और तथ्यों के आधार पर डॉक्टर और मरीज दोनों को दोषी पाया गया। इसे सरकारी सेवा आचरण नियमों और रेजिडेंट डॉक्टर नीति-2025 का उल्लंघन मानते हुए सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरूला की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गईं। इसी फैसले के विरोध में अब प्रदेश भर के रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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