अहंकार छोड़कर ड्यूटी पर लौटें रेजिडेंट डॉक्टर: मुख्यमंत्री सुक्खू
शिमला, 28 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रेजिडेंट डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को गलत ठहराते हुए उनसे अपना अहंकार छोड़कर वापस ड्यूटी पर लौटने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं डॉक्टरों को आश्वासन दिया था कि उनके मामले की दोबारा जांच करवाई जाएगी, इसके बावजूद डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों को मुख्यमंत्री की बात पर भरोसा करना चाहिए था और मरीजों के हित को प्राथमिकता देनी चाहिए थी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकार 75 लाख प्रदेशवासियों के साथ खड़ी है और किसी एक पक्ष का समर्थन नहीं कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार मरीजों के साथ भी है और डॉक्टर भी सरकार के लिए परिवार के सदस्य जैसे हैं। ऐसे में हड़ताल के कारण आम लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए रेजिडेंट डॉक्टरों को तुरंत हड़ताल समाप्त कर ड्यूटी पर लौटना चाहिए। मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से आग्रह किया है कि वे सोमवार से काम पर लौटें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हड़ताल पर जाने का औचित्य समझ से परे है। उन्होंने बताया कि शनिवार को रेजिडेंट डॉक्टर उनसे मिले थे और उस दौरान उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया था कि संबंधित मामले की दोबारा जांच करवाई जाएगी। इसके बावजूद डॉक्टरों ने हड़ताल का रास्ता अपनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे सीनियर डॉक्टरों को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर इस पूरे मामले पर बातचीत करेंगे, ताकि समाधान निकाला जा सके। उन्होंने दोहराया कि रेजिडेंट डॉक्टरों को अपना अहंकार छोड़कर मरीजों की सेवा के लिए वापस आना चाहिए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होना गंभीर विषय है और इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। सरकार किसी भी कीमत पर मरीजों के इलाज में बाधा नहीं चाहती।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव निरूला की टर्मिनेशन के विरोध में प्रदेशभर के रेजिडेंट डॉक्टर शनिवार से हड़ताल पर चले गए। हड़ताल के चलते कई अस्पतालों में रूटीन सेवाएं और नियमित ऑपरेशन बंद रहे, जिससे मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा था।
आईजीएमसी शिमला में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के बैनर तले डॉक्टरों ने बीते शनिवार को प्रदर्शन किया था और डॉ. राघव निरूला की बर्खास्तगी को अन्यायपूर्ण बताया। डॉक्टरों का कहना है कि मारपीट के एक मामले में बिना पक्ष सुने ही सख्त कार्रवाई की गई। एसोसिएशन ने डॉ. राघव की टर्मिनेशन रद्द करने और अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
हालांकि राहत की बात यह थी कि आपातकालीन सेवाएं जारी रहीं और इमरजेंसी मामलों में इलाज हुआ। आईजीएमसी में कुछ असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों ने ओपीडी में मरीजों को देखा। इसके बावजूद मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। अगर डॉक्टरों की हड़ताल सोमवार को भी जारी रही, तो अस्पतालों में स्थिति और बिगड़ सकती है। सप्ताह का पहला वर्किंग डे होने की वजह से भारी तादाद में मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचते हैं।
इस बीच चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय ने हड़ताल के मद्देनज़र सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के लिए सख्त एसओपी जारी किए हैं। सरकार ने साफ किया है कि इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसके लिए प्राचार्य, विभागाध्यक्ष और कंसल्टेंट डॉक्टर जिम्मेदार होंगे। सरकार का कहना है कि मरीजों का हित सर्वोपरि है और सेवाएं सुचारू रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि यह पूरा विवाद 22 दिसंबर को शुरू हुआ था, जब चौपाल उपमंडल के कुपवी क्षेत्र के निवासी अर्जुन पंवार इलाज के लिए आईजीएमसी पहुंचे थे। आरोप है कि वार्ड में लेटने को लेकर डॉक्टर और मरीज के बीच कहासुनी हुई, जो मारपीट में बदल गई। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल में तनाव फैल गया और मरीज के परिजन व स्थानीय लोग बड़ी संख्या में आईजीएमसी पहुंचे।
सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच करवाई और 24 दिसंबर को जारी आदेश में कहा कि प्रारंभिक जांच, वीडियो फुटेज और तथ्यों के आधार पर डॉक्टर और मरीज दोनों को दोषी पाया गया। इसे सरकारी सेवा आचरण नियमों और रेजिडेंट डॉक्टर नीति-2025 का उल्लंघन मानते हुए सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव नरूला की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गईं। इसी फैसले के विरोध में अब प्रदेश भर के रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

