शोध संस्थान नेरी और एनआईटी हमीरपुर अकादमिक कार्यों के लिए समझौता ज्ञापन करेगा : प्रो. हीरालाल मुरलीधर सूर्यवंशी

शोध संस्थान नेरी और एनआईटी हमीरपुर अकादमिक कार्यों के लिए समझौता ज्ञापन करेगा : प्रो. हीरालाल मुरलीधर सूर्यवंशी
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शोध संस्थान नेरी और एनआईटी हमीरपुर अकादमिक कार्यों के लिए समझौता ज्ञापन करेगा : प्रो. हीरालाल मुरलीधर सूर्यवंशी


हमीरपुर, 05 मई (हि.स.)। ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी द्वारा आयोजित एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद के समापन समारोह पर रविवार को मुख्यातिथि एन.आई.टी. हमीरपुर के निदेशक प्रो. हीरालाल मुरलीधर सूर्यवंशी रहे। इस अवसर पर मुख्यातिथि डॉ. हीरालाल मुरलीधर ने कहा कि भारत की संस्कृति समृद्ध संस्कृति है। जिसका संरक्षण एवं संवर्द्धन करने का दायित्व शोधार्थियों पर है। किसी भी राष्ट्र व समाज की पहचान उसकी समृद्ध संस्कृति होती है जो उसके इतिहास एवं परम्पराओं को जीवन्त रखती है।

उन्होंने कहा जापान, कोरिया, डेनमार्क आदि देश अपनी संस्कृति की पहचान को लेकर विश्वभर में विख्यात है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए अपनी संस्कृति से सीख लेने की आवश्यकता है। श्री सूर्यवंशी ने कहा कि कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर शोध संस्थान नेरी के साथ अकादमिक कार्यों को सामूहिक रूप से करने के लिए समझौता ज्ञापन करेगा।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं और ऋषियों-मुनियों की धरती है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता का इतिहास हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है इसलिए हमें सांस्कृतिक धरोहर पर गहन चिन्तन करना होगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल की नदियों और देवी-देवता हमारी धरती पर पूजनीय है और इनकी कई गाथाएं हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई हैं।

विशिष्ट अतिथि प्रो. गजेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें अपने शोध के द्वारा अपनी संस्कृति को ही नहीं बल्कि भारत की संस्कृति को भी शोध करना होगा ताकि हमारी संस्कृति की पहचान विश्व तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि हम अपनी संस्कृति को आर्थिक रूप से जोड़ सकते हैं चाहे वो पर्यटन व लघु उद्योगों का क्षेत्र हो।

संस्थान के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने कहा कि हमने सांस्कृतिक धरोहर को पहचानने की कोशिश की और संस्थान की टोली मिलकर संस्कृति को मिलकर आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। समापन समारोह में इतिहास दिवाकर के विशेषांक ‘मानव जीवन के आदर्श श्रीराम’ व डॉ. कृष्ण मोहन पाण्डेय द्वारा सम्पादित ‘पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में ऋषि परम्परा’ पुस्तक का विमोचन किया गया। संस्थान के निदेशक जगवीर चंदेल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया व तिलक राज ने मंच का संचालन किया।

परिसंवाद संयोजक डॉ. कर्म सिंह ने बताया कि इस परिसंवाद में प्रो. इन्द्रजीत सोढी दिल्ली, डॉ. सुमेर खजुरिया जम्मू, प्रो. संजय शर्मा उत्तराखण्ड, प्रो. राकेश कुमार शर्मा, डॉ. कैलाश चन्द गुर्जर राजस्थान, शिमला से डॉ. अंकुश भारद्वाज, डॉ. मनोज, मण्डी से डॉ. राकेश कुमार शर्मा, महेन्द्र सिंह, मेहर चन्द, सहित देश के अन्य जम्मू, उतराखण्ड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उतर-प्रदेश, मध्यप्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों से 130 लेखकों, अध्येताओं, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने अपने तथ्यपरक शोधपत्र प्रस्तुत किए।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील/उज्जवल

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