शानन बिजली परियोजना पर सरकार और विपक्ष नहीं कर रहे अपने कर्तव्य का पालन : शान्ता कुमार
पालमपुर, 09 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि जोगिन्दर नगर शानन बिजली परियोजना के सम्बंध में हिमाचल प्रदेश की सरकार और विपक्ष दोनों अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रहे हैं। शानन बिजली परियोजना हिमाचल प्रदेश में है परन्तु इसका अधिकार पंजाब के पास है। 1925 में मण्डी रियासत के साथ हुआ समझौता भी अब समाप्त हो गया है। हिमाचल सरकार और विपक्ष को मिलकर हिमाचल के इस अधिकार के लिए संघर्ष करना चाहिए।
शान्ता कुमार ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि 1966 में पंजाब पुर्नगठन कानून बना और उसके अनुसार हिमाचल, पंजाब और हरियाणा के तीन प्रदेषों का गठन हुआ। पुनर्गठन कानून में इस सम्बंध में एक स्पष्ट धारा है जिसमें कहा गया है कि इस कानून के बाद सांझे पंजाब की जो सम्पत्ति जिस नये प्रदेश में होगी उस पर उसकी मलकियत होगी। 1966 के पुनर्गठन के बाद जोगिन्दर नगर और मण्डी हिमाचल का हिस्सा बन गये इसलिए उसी समय शानन बिजली परियोजना हिमाचल प्रदेश को मिल जानी चाहिए थी। परन्तु पंजाब सरकार ने केन्द्र से मिलकर इस परियोजना को प्राप्त कर लिया। हिमाचल उस समय अपने अधिकार के लिए पूरी लड़ाई नही लड़ सका।
शान्ता कुमार ने कहा कि 1977 में मुख्यमंत्री बनने पर मैंने प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास यह मांग रखी थी। उन्होंने तीनों प्रदेशों के मुख्यमन्त्रियों को बुलाया। मैंने जब पुनर्गठन कानून की धारा को प्रधानमंत्री केे सामने रखा तो वो मुझसे सहमत हुए और प्रकाश सिंह बादल और देवीलाल के पास इसका कोई उत्तर नही था। बाद में इस विषय पर सुब्रमण्यम कमेटी बनाई गई। उसकी रिपोर्ट भी हिमाचल केे हित में थी परन्तु छोटा सा हिमाचल भारत सरकार से न्याय प्राप्त नही कर सका।
उन्होंने कहा कि पंजाब अपने अधिकार के लिए इस विषय को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में गया है। हिमाचल सरकार और विपक्ष को मिलकर इस विषय पर सर्वोच्च न्यायालय में भी अपने अधिकार की लड़ाई लड़नी चाहिए और भारत सरकार के साथ भी संघर्ष करना चाहिए। हिमाचल प्रदेश 1966 से इस अन्याय को सहन कर रहा है। हिमाचल की भूमि में हिमाचल के पानी से बिजली बन रही है पर उस पर सारा अधिकार पंजाब का है। ऐसा भंयकर अन्याय पूरे देश में और कही नही हो रहा ।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील/उज्जवल
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