शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर जाने से किया किनारा, जाखू मंदिर में हुई गौ ध्वज स्थापना

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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर जाने से किया किनारा, जाखू मंदिर में हुई गौ ध्वज स्थापना


शिमला, 24 अक्टूबर (हि.स.)। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिमला प्रवास के दौरान यहां के प्रतिष्ठित राम मंदिर में गौ ध्वज स्थापना का कार्यक्रम स्थगित कर सभी को अचंभित कर दिया है। बाद में उन्होंने यहां के जाखू मंदिर में गौ ध्वज की स्थापना की। दरअसल उत्तर दिशा के ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 का गुरूवार को शिमला के राम बाजार स्थित प्रतिष्ठित राम मंदिर में गौ ध्वज की स्थापना और महायज्ञ में पहुंचने का कार्यक्रम तय था, लेकिन मंदिर में साईं की मूर्ति होने की वजह से वह कार्यक्रम स्थल राम मंदिर नहीं गए और उन्होंने जाखू मंदिर में गौ ध्वज की स्थापना कर अपना सन्देश दिया।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती देशभर में गौ हत्या को रोकने और गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। इस कड़ी में वह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी राम मंदिर में शंकराचार्य गौ ध्वज की स्थापना के लिए पहुंचे थे, लेकिन साईं की मूर्ति होने की वजह से उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर जाखू मंदिर में ध्वज स्थापना की और राममंदिर में महायज्ञ कार्यक्रम में गए बिना ही वापिस लौट गए है।

शंकराचार्य गुरूवार सुबह सबसे पहले शिमला के प्राचीन मंदिर जाखू पहुंचे। जहां गौ ध्वज की स्थापना कर अपना एक संदेश दिया है। राम मन्दिर में साईं की मूर्ति होने की वजह से शंकराचार्य राम मंदिर नहीं गए और उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है।

शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगिराज सरकार ने बताया कि राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों से साईं की मूर्ति हटाने को कहा गया था, लेकिन मूर्ति नहीं हटाई गई। ऐसे में शंकराचार्य ने जाखू मंदिर से ही गो ध्वज फहराया और वहीं से वापिस देहरादून लौट गए है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म मे पहले ही 33 करोड़ देवी देवता है। ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति (प्रतिमा) का कोई मतलब नहीं है। शंकराचार्य देशभर में जहां भी मन्दिर में साईं की मूर्ति है, वहां पूजा नहीं करते हैं, इसलिए उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया है।

बता दें अयोध्या राम मंदिर के निर्माण में भी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने शास्त्र और वेदों के माध्यम से अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने वाली भूमि को राम जन्म की भूमि होने का प्रमाण दिया था। गौ माता को पशु की श्रेणी से हटाकर राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है। 22 सितंबर को अयोध्या में राम मंदिर में गो ध्वज स्थापना और जयघोष के साथ यह यात्रा शुरू हुई है। इसमें उनके अनुसार 33 राज्यों की राजधानी में गो ध्वज फहराया जा रहा है। 25 हजार 600 किलोमीटर की यात्रा 27 अक्तूबर को वृंदावन बांके बिहारी मंदिर में गो ध्वज फहराने के साथ समाप्त होगी। राजधानी शिमला 33वां राज्य है जहां गौ ध्वज फहराया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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