जन्म और मृत्यु के उर्दू रिकॉर्ड का हिंदी और इंग्लिश में किया जाएगा डिजिटाइजेशन
हमीरपुर, 15 जनवरी (हि. स.)। कई साल पुराने रिकॉर्ड से जन्म और मृत्यु का अगर किसी ने अपना या अपने किसी पारिवारिक सदस्य का सर्टिफिकेट बनवाना है तो इसके लिए संबंधित लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह सारा रिकॉर्ड सीएमओ ऑफिस में दशकों से पड़ा हुआ है और इससे उर्दू में दर्ज किए गए।
वर्तमान समय मे इस रिकार्ड को सर्टिफिकेट बनाने में दिक्कत आ रही है क्योंकि उर्दू पढ़ने वाले लोग अब नाम मात्र के ही बचे हैं। दफ्तर में इस रिकार्ड को संबंधित क्लर्क पद नहीं पाते हैं जिसे सर्टिफिकेट बनाना मुश्किल हो जाता है जिसकी वजह से लोगों के समय पर यह दोनों जरूरी सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहे हैं। अब इस समस्या से निजात पाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग हमीरपुर एक नई पहल करने जा रहा है जिसके तहत ऐसे पुराने बुजुर्गों से खास तौर पर संपर्क किया जा रहा है जो लोग उर्दू पढ़ना जानते हैं ।
स्वास्थ विभाग हमीरपुर उर्दू भाषा मे निपुण लोगों को विभाग हायर करके इसे जन्म और मृत्यु के सारे पुराने रिकॉर्ड को तैयार कर उसका नया हिंदी और अंग्रेजी में रिकॉर्ड तैयार करेगा ताकि लोगों को सर्टिफिकेट बनाने में दिक्कत ना हो। खास बात यह भी रहेगी कि इस सारे रिकॉर्ड का हिंदी और अंग्रेजी में डिस्टलाइजेशन करके विभाग एक नई वेबसाइट बनाकर इस सारे डेटा को उसे पर अपलोड करेगा। हालांकि इसके लिए एक साल से ज्यादा का समय लग जाएगा लेकिन विभाग अब इसकी शुरुआत करने जा रहा है। जल्द ही इस काम के लिए विभाग टेंडर करेगा जिसके बाद डिजिटाइजेशन का प्रक्रिया शुरू हो जाएगा ।
सीएमओ हमीरपुर डॉक्टर आरके अग्निहोत्री ने बताया कि विभाग जन्म और मृत्यु के उर्दू के इस सारे रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन करेगा और एक नई वेबसाइट बनाकर इस सारे डेटा को उसे पर अपलोड किया जाएगा ताकि जब भी किसी को अपना पुराना सर्टिफिकेट बनवाना हो तो वह तुरंत बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि विभाग उर्दू पढ़ने वाले ऐसे लोगों की तलाश कर रहा है जिनकी मदद से इस काम को पूरा किया जा सके उसके लिए जल्द ही एक टेंडर भी प्रोसेस किया जाएगा।
सीएमओ कार्यालय हमीरपुर में पुराने रिकार्ड को ढूंढने तथा अनुवाद करने में मदद करने वाले 96 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक ज्ञान चंद ने बताया कि 1885 से 1974 तक यहां उर्दू और फारसी में लिखे गए जन्म एवं मृत्य प्रमाण पत्र के रिकार्ड को देखकर वे उसका अनुवाद हिंदी में करते हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्हें उम्र के कारण थोडी कठिनाई भी होती है लेकिन फिर भी वे इस काम को करने के लिए यहां आते रहते हैै। उन्होंने बताया कि उन्हें पांच भाषााओं का ज्ञान है तथा रिकार्ड ढूंढना एक बहुत ही जिम्मेदारी का काम है।
गौरतलब है कि हजारों की तादाद में लोगों का करीब 140 साल पुराना ऐसा जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड है जो दफ्तर में फाइलों में बंद पड़ा हुआ है। उर्दू में रिकॉर्ड होने की वजह से लोगों को जरूरत पर इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है/सुनील
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