विदेशों में चमक बिखरेंगे शिमला के उत्पाद, प्रशासन करेगा पहल

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शिमला, 29 दिसंबर (हि.स.)। शिमला जिले के स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को अब विदेशों तक पहुंचाने की दिशा में जिला प्रशासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। सोमवार को उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित जिला स्तरीय एक्सपोर्ट प्रमोशन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शिमला के स्वयं सहायता समूहों को विदेशों में अपने उत्पादों की बिक्री के लिए पंजीकरण करवाया जाएगा। इस फैसले से न केवल शिमला के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान मिलेगी, बल्कि महिलाओं को रोजगार के और भी अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी आर्थकि स्थिति में सुधार होगा।

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बैठक में बताया कि शिमला जिले में सैंकड़ों स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जो हिम ईरा के माध्यम से अपने उत्पादों को देशभर में बेचने में सफल रहे हैं। हालांकि, इन समूहों ने अब तक विदेशों में अपने उत्पादों के लिए पंजीकरण नहीं करवाया है। उन्होंने कहा कि जिले के उत्पादों की मांग विदेशों में बढ़ सकती है और इसके लिए भारत सरकार की एक्सपोर्ट काउंसिल निर्यातकों को मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और बाजार की जानकारी प्रदान करती है। इस प्रक्रिया में पहले निर्यातक का पंजीकरण होता है, फिर एक्सपोर्ट काउंसिल द्वारा सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, जिससे निर्यातक अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने के लिए अधिकारिक रूप से सक्षम हो जाता है।

उपायुक्त ने आगे कहा कि शिमला जिले में लगभग 5500 स्वयं सहायता समूह पंजीकृत हैं, जिनसे करीब 32 हजार परिवार जुड़े हुए हैं। इन समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों में फूड प्रोसेसिंग, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट और हर्बल उत्पाद प्रमुख हैं। इस प्रक्रिया से महिलाओं को घर पर ही रोजगार मिल रहा है, जिससे वे अपनी आर्थकि स्थिति को मजबूती से सशक्त कर पा रही हैं। प्रशासन का उद्देश्य इन स्वयं सहायता समूहों को समय-समय पर सही मंच और प्रशिक्षण देना है, ताकि उनके उत्पादों का कारोबार अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे और उनका विस्तार हो सके।

उपायुक्त कश्यप ने यह भी बताया कि प्रशासन स्थानीय उत्पादों की पैकिंग, लेबलिंग और ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसके साथ ही, प्रशासन स्वयं सहायता समूहों को एक्सपोर्ट काउंसिल में पंजीकरण करवाने के लिए जागरूक करेगा, ताकि उनके उत्पादों को विदेशों में बेचा जा सके। इस पहल से शिमला के उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान मिल सकेगी और यहां की महिलाओं को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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