व्यायाम न करने वाले युवाओं में नसों की बीमारी की अधिक संभावना : डा. रावुल जिंदल

व्यायाम न करने वाले युवाओं में नसों की बीमारी की अधिक संभावना : डा. रावुल जिंदल
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व्यायाम न करने वाले युवाओं में नसों की बीमारी की अधिक संभावना : डा. रावुल जिंदल


शिमला, 05 अप्रैल (हि.स.)। जांघों व पिंडलियो में नीले-लाल व बेंगनी रंग की नसों का उभरना, भारीपन व अकडऩ जैसे लक्ष्ण दिखें तो इसे नजरअंदाज न करें यह नसों के फूलने की बीमारी है। यह बात जाने माने जाने माने वेस्कूलर सर्जन डा. रावुल जिंदल ने शुक्रवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में कही।

फोर्टिस अस्पताल में वेस्कूलर सर्जरी के डायरेक्टर डा. रावुल जिंदल ने कहा कि नसों की सूजन को नजरअंदाज करना हानिकारक हो सकता है। इस तरह के लक्षण नजर आने पर इसका तुरंत उपचार कराना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कई बार पीडि़त मरीज द्वारा लगातार खुशकी करने से अल्सर भी हो सकता है। बीमारी के कारण पैर में तेज दर्द शुरू हो जाता है। मरीज अपना पैर हिला भी नहीं सकता। इस बीमारी का प्रमुख कारण लंबे समय तक खड़े रहना माना जाता है।

उन्होंने कहा कि पहले बुजुर्गों व महिलाओं में ऐसी बीमारी के ज्यादा लक्ष्ण देखने को मिलते थे, परंतु अब खराब जीवनशैली के कारण युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं में इस बीमारी के फैलने का कारण शारीरिक व्यायाम न करना तथा एक ही जगह पर घंटों बैठे रहना है।

उन्होंने बताया कि ऐसी बीमारी का इलाज मात्र सर्जरी है तथा यदि पीडि़त व्यक्ति समय पर ऐसे अस्पताल पहुंचता है, जहां माहिर डाक्टरों की टीम व उत्तम तकनीक मौजूद हों, तो पीडि़त जल्द स्वस्थ हो सकता है।

उन्होंने बताया कि हाल ही में शिमला की एक 37 वर्षीय महिला को बाइलैटरल वैरिकाज़ नसों (सूजी हुई और टेढ़ी-मेढ़ी नसों) के साथ-साथ अत्यधिक भारीपन, सूजन और पैर दर्द के कारण पैरों में तेज दर्द का अनुभव हो रहा था और चलते समय उसे असुविधा का सामना करना पड़ा। उसकी टखनों के आसपास की त्वचा (स्टेज C3) भी काली पड़ गई थी। मरीज के पैर का अल्ट्रासाउंड (डॉपलर स्कैन) किया गया जिसमें अक्षम वाल्व दिखाई दिए। इसके बाद, उन्होंने लेज़र एब्लेशन और वैरिकोसिटीज़ की फोम स्क्लेरोथेरेपी के साथ रोगग्रस्त नस का सफल लेज़र उपचार किया।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल

/सुनील

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