सत्य का अन्वेषण भारतीय संस्कृति का मूल चिंतन : किस्मत कुमार

सत्य का अन्वेषण भारतीय संस्कृति का मूल चिंतन : किस्मत कुमार
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सत्य का अन्वेषण भारतीय संस्कृति का मूल चिंतन : किस्मत कुमार


शिमला, 24 मई (हि.स.)। नारद जयंती के अवसर पर विश्व संवाद केंद्र शिमला में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में किस्मत कुमार ने कहा कि सत्य का अन्वेषण भारत की संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। शिमला में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत निदेशक आरती सूद उपस्थित रहीं। जबकि बतौर मुख्य वक्ता केंद्रीय विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य किस्मत कुमार रहे। वहीं विशिष्ठ अतिथि के रूप में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में वरिष्ठ अध्येता प्रोफेसर हरीमोहन बुधोलिया उपस्थित रहे।

किस्मत कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज भी भारतीय का मूल चिंतन लाखों साल पुराना है जोकि सत्य का अन्वेषण पर आधारित है। जैसे आज भी एक भारतीय परिवार में किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए सत्य नारायण की कथा करवाई जाती है। ताकि हम अपने मूल स्वरूप और मूल चिंतन सत्य के अनुसंधान से जुड़े रहे। विश्व के लोगों को धर्म का सही और व्यापक स्वरूप भारत ने ही बताया।। क्योंकि भारत में चरित्र निर्माण में सबसे अधिक भूमिका धर्म की है जोकि मूल भारतीय तत्व सत्य के अन्वेषण पर आधारित है। जबकि अन्य धर्म केवल सीमित दायरे में इसकी व्याख्या करते हैं। जिस कारण धर्म की अपेक्षा उनको मजहब कहना ही सही है।

उन्होंने कहा कि हमारे भारतीय समाज के आदर्श चरित्रों को खराब करने का योजनापूर्वक प्रयास किए किए गए। जैसे बुद्धि के देवता को मूर्ख बताने के लिए उनको गोबर गणेश, कृष्ण भगवान के लिए मिट्टी का माधो जैसे मुहावरे गढ़े गए। उन्होंने बताया कि भारत के सैकुलर शब्द भारत के लिए है ही नही भारतीय समाज के चिंतन में आई गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज हम अपने देश की अपेक्षा पश्चिमी देशों को प्राथमिकता देने लगे है।

मुख्य अतिथि जनसंपर्क विभाग से सेवानिवृत निदेशक आरती सूद ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज वो समय है जब हम पुराने नकारात्मक विमर्श को लेकर जागरूक हो। उन्होंने नारद जी द्वारा लिखित समाज के लिए कल्याणकारी ग्रंथों का जिक्र किया जिसमे नारद भक्ति सूत्र, नारद पुराण, नारदीय ज्योतिष आदि ग्रंथ समाज के मार्गदर्शक का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्व संवाद केंद्र के सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में किए कार्यों की सराहना की।

इस अवसर पर प्रांत प्रचार प्रमुख प्रताप ने कहा कि आज आम नागरिकों की सहभागिता हुई है। अब पत्रकारिता कुछ लोगो तक सीमित नहीं नही रह गई है। इस मौके पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जय प्रकाश लिखित पुस्तक नारदीय संचार नीति का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत उपकुलपति नरेंद्र कुमार शारदा, विश्व संवाद केंद्र न्यास के अध्यक्ष राजेश बंसल, उपाध्यक्ष यादवेंद्र सिंह चौहान, प्रांत सह प्रचार प्रमुख मोतीलाल, वरिष्ठ पत्रकार अनिल हेडली सहित कई पत्रकारों ने सहभागिता की।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील/उज्जवल

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