ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी और जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के बीच शैक्षणिक-शोध सहयोग हेतु एमओयू हस्ताक्षरित

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ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी और जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के बीच शैक्षणिक-शोध सहयोग हेतु एमओयू हस्ताक्षरित


ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी और जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के बीच शैक्षणिक-शोध सहयोग हेतु एमओयू हस्ताक्षरित


हमीरपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)। ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी तथा मध्य प्रदेश के जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के बीच शैक्षणिक एवं शोध सहयोग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन पर जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर से कुलगुरु प्रो. राजकुमार आचार्य, कुलसचिव डॉ. राजीव मिश्रा तथा प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. शांतिदेव सिसोदिया ने हस्ताक्षर किए। वहीं ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी की ओर से संस्थान निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग एवं इतिहास दिवाकर के संपादक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर कुलगुरु प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि जीवाजी विश्वविद्यालय सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी के साथ मिलकर शोध एवं शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने बताया कि संयुक्त शोध परियोजनाओं, सेमिनार, कार्यशालाओं, अकादमिक आदान-प्रदान तथा शोधार्थियों के मार्गदर्शन के माध्यम से दोनों संस्थाएं मिलकर कार्य करेंगी, जिससे शोध की गुणवत्ता और विस्तार को नई दिशा मिलेगी।

संस्थान के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने इस एमओयू को संस्थान के लिए गौरवपूर्ण बताते हुए कहा कि वर्ष 1964 में स्थापित मध्य प्रदेश के अग्रणी जीवाजी विश्वविद्यालय के साथ यह समझौता ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से भविष्य में शोध, प्रकाशन, अकादमिक कार्यक्रमों और शैक्षणिक गतिविधियों में दोनों संस्थाएं सक्रिय सहभागिता करेंगी, जिससे क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक शोध को प्रोत्साहन मिलेगा।

विभागाध्यक्ष प्रो. शांतिदेव सिसोदिया ने अपने वक्तव्य में हिमालयी क्षेत्र में पुरातत्व अध्ययन की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भविष्य में एक सुविचारित योजना के तहत हिमालय क्षेत्र में पुरातत्व एवं ऐतिहासिक अनुसंधान को लेकर संयुक्त रूप से कार्य किया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और इतिहास पर नया प्रकाश पड़ेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला

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