हिमाचल में मॉनसून ने फिर पकड़ी रफ़्तार, कांगड़ा में मूसलाधार बारिश, दो नेशनल हाइवे समेत 197 सड़कें बंद
शिमला, 28 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में मानसून फिर से पूरी तरह सक्रिय हो गया है और भारी बारिश के चलते जनजीवन एक बार फिर से अस्त-व्यस्त हो गया है। राजधानी शिमला सहित राज्य के कई हिस्सों में शनिवार रात से ही रुक-रुक कर वर्षा हो रही है, जबकि कांगड़ा जिले में बीती रात व्यापक मूसलाधार बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने आज के लिए भारी वर्षा का येलो अलर्ट और 29 जुलाई के लिए कुछ इलाकों में ओरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा 30 और 31 जुलाई को भी भारी वर्षा का येलो अलर्ट रहेगा। मौसम विभाग ने इस दौरान गरज-चमक और आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी भी दी है।
मौसम विभाग के अनुसार एक अगस्त से 3 अगस्त तक भी प्रदेश में मौसम खराब बना रहेगा, हालांकि इस अवधि के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है। बीती रात कांगड़ा जिले के शाहपुर में सर्वाधिक 157 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा कांगड़ा में 140, पालमपुर में 72, धर्मशाला में 53, मंडी जिले के जोगिंद्रनगर में 46 और सराहन में 30 मिमी वर्षा दर्ज की गई। लगातार हो रही बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं और भूस्खलन का खतरा भी बढ़ गया है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक सोमवार सुबह तक प्रदेश में दो नेशनल हाईवे समेत कुल 197 सड़कें यातायात के लिए बंद हो चुकी हैं। मंडी और कुल्लू जिलों में एक-एक नेशनल हाईवे बंद है। इनमें मंडी-कोटली नेशनल हाईवे और आनी-कुल्लू नेशनल हाईवे शामिल हैं, जो पिछले कुछ दिनों से ठप पड़े हैं। अकेले मंडी जिले में 130 सड़कें और कुल्लू में 45 सड़कें प्रभावित हुई हैं।
भारी बारिश का असर बिजली और पानी की आपूर्ति पर भी पड़ा है। राज्य में 57 ट्रांसफार्मर और 97 पेयजल योजनाएं ठप हो चुकी हैं। मंडी जिले में 20 ट्रांसफार्मर और 38 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जबकि कुल्लू में 33 ट्रांसफार्मर ठप हैं। वहीं कांगड़ा जिले के धर्मशाला और नूरपुर उपमंडलों में 59 पेयजल योजनाएं बाधित हुई हैं।
मानसून सीजन की शुरुआत यानी 20 जून से अब तक बारिश और भूस्खलन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में 161 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 263 लोग घायल हुए हैं और 35 लोग अभी भी लापता हैं। अकेले मंडी जिले में सबसे ज्यादा 32 लोगों की मौत और 27 लोग लापता हुए हैं। इसके अलावा कांगड़ा में 23, कुल्लू और चंबा में 17-17, शिमला में 12, सोलन और ऊना में 11-11, हमीरपुर और किन्नौर में 10-10, बिलासपुर में 8, लाहौल-स्पीति में 6 और सिरमौर में 4 लोगों की जान जा चुकी है।
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण लोगों के घरों और पशुधन को भी भारी नुकसान पहुंचा है। अब तक प्रदेश में 1316 मकानों को नुकसान हुआ है, जिनमें से 418 मकान पूरी तरह ढह गए हैं। अकेले मंडी जिले में 986 मकान प्रभावित हुए, जिनमें से 376 पूरी तरह से गिर गए। इसके अलावा करीब 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 1402 मवेशियों की भी मौत हो चुकी है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार इस मानसून सीजन में अब तक कुल 1506 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 768 करोड़ रुपये और जलशक्ति विभाग को 495 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है। इसके अलावा अब तक 42 बार फ्लैश फ्लड, 25 बार बादल फटने और 32 बार भूस्खलन की घटनाएं भी रिकॉर्ड की जा चुकी हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

