सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों में मिलती है आत्मविश्वास और आत्मज्ञान की प्रेरणा : कुमार स्वामी

सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों में मिलती है आत्मविश्वास और आत्मज्ञान की प्रेरणा : कुमार स्वामी
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सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों में मिलती है आत्मविश्वास और आत्मज्ञान की प्रेरणा : कुमार स्वामी


मंडी, 11 मई (हि.स.)। मानव जीवन में धर्म, अघ्यात्म, सनातन और विज्ञान का क्या महत्व है। सनातनधर्म में सनातन धर्म में ज्ञान का महत्व, विज्ञान और धार्मिक ज्ञान का परस्पर संबंध और महत्व जैसे सवालों को लेकर मंडी के सरदार पटेल विश्व विद्यालय परिसर हॉल में पहली बार महाब्रह्म ऋषि कुमार स्वामी के साथ मंडी वासियों का सीधा संवाद करवाया गया।

मंडी के वरिष्ठ पत्रकार एवं रोटरी क्लब के अध्यक्ष मुनीष सूद ने इस संवाद में अतिथि संवादकर्ता की भूमिका अदा करते हुए लोगों की जीज्ञाशा और सवालों को महाब्रह्म ऋषि कुमार स्वामी के समक्ष प्रस्तुत किया। जिनका उन्होंने सिलसिले बार जवाब दिया।

उन्होंने बताया कि अध्यात्म और विज्ञान का आपस में सुंदर सामंजस्य दिखता है। सनातन धर्म में ज्ञान का महत्व अत्यधिक है, जिसमें विज्ञान और धार्मिक ज्ञान शामिल है। उन्होंने बताया कि वेदों में वैज्ञानिक ज्ञान के अनेक अनुभव विविधता से उपलब्ध हैं। सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में आत्मविश्वास एवं आत्मज्ञान की प्रेरणा दी गई है, जो विज्ञान में भी महत्वपूर्ण है। यही नहीं अध्यात्म विज्ञान का अध्ययन और ध्यान, विशेष रूप से योग और ध्यान के माध्यम से, ज्ञान और अंतर्दृष्टि को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

मुनीष सूद ने बताया कि महा ब्रह्म ऋषि कुमार स्वामी प्र यात आध्यात्मिक गुरु हैं । जिनके जीवन और उपदेशों में अत्यंत गहराई है। उन्हें अत्यधिक उच्च दर्जा वाले आध्यात्मिक विचारक के रूप में पहचाना जाता है। कुमार स्वामी जी ने अपने जीवन को ध्यान और सेवा में समर्पित किया। उनके उपदेशों में अमृत समाहित है, जो विश्वास को और भविष्य की दिशा को प्रेरित करते हैं। उन्होंने समग्र मानवता के हित के लिए विभिन्न आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है जो सभी को आत्मानुभूति और आध्यात्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। कुमार स्वामी जी के संदेश और उपदेश हमें आत्म-प्रकाश और आत्म-समर्पण की ओर ले जाते हैं। उनकी शिक्षाएं हमें न केवल आत्म-प्रागल् य देती हैं, बल्कि हमें समृद्ध और सांसारिक जीवन में समन्वय की भी दिशा में प्रेरित करती हैं। उनके उपदेशों को अपना कर हम सभी आध्यात्मिक आराधना और आत्म-विकास की ओर प्रगति कर सकते हैं।

उनका कहना है कि अध्यात्म और चमत्कार का संबंध बहुत प्राचीन समय से है। बहुत से लोग मानते हैं कि अध्यात्म से आये शक्तियों के माध्यम से चमत्कार हो सकते हैं। अध्यात्म में चमत्कार को न मानने वाले लोगों के कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोग विज्ञान और तथ्यों पर ही आधारित होते हैं, जबकि कुछ को अनुभव और अनुभूति को ही मान्यता होती है। धार्मिक विश्वासों, संस्कृति और शिक्षा के प्रभाव भी हो सकते हैं। यह एक अपरिपक्व विषय है जिस पर अभी भी बहुत अध्ययन और विचार हो रहे हैं। जबकि अध्यात्म और विज्ञान दोनों मानवता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अध्यात्म आत्मा और आत्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि विज्ञान शारीरिक और बाह्य विश्व के अध्ययन पर जोर देता है। दोनों ही अपनी-अपनी स्थानिकता और प्रासंगिकता में महत्वपूर्ण हैं। लेकिन एक-दूसरे को पूरक मानना भी आवश्यक है। मंत्रों की शक्ति का मानना और उनका उपयोग कई सालों से रहा है। इस संवाद में मंडी वासियों ने अपने मन के इन सभी भ्रमों को महाब्रह्म ऋषि कुमार स्वामी के सामने खोल कर रख दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/ मुरारी/सुनील

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