65वें राष्ट्रीय विद्रोह दिवस पर तिब्बतियों ने चीन के खिलाफ निकाला विरोध मार्च
धर्मशाला, 10 मार्च (हि.स.)। तिब्बत के 65वें राष्ट्रीय विद्रोह दिवस पर तिब्बतियों ने चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ मैकलोडगंज से लेकर धर्मशाला तक रविवार को रैली निकाली और चीन के खिलाफ नारेबाजी भी की। रैली में हजारों की संख्या में तिब्बती समुदाय के लोगों ने भाग लेकर तिब्बती की आजादी की मांग को मुखर किया। मकलोडगंज से धर्मशाला तक चीन के खिलाफ विरोध रैली में तिब्बती समुदाय से संबंधित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों सहित आम तिब्बती भी शामिल रहे।
सैकड़ों तिब्बती लोगों ने सड़कों पर उतरकर चीन के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद तिब्बत और भारत के राष्ट्रगान से 65वें तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस का शुभारंभ किया। इसके अलावा तिब्बत की आजादी के लिए आत्मदाह करने वालों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस दौरान तेंजिन ने कहा कि 10 मार्च 1959 में तिब्बतियों ने तिब्बत पर चीनी सरकार के कब्जे के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं इस दौरान उन्होंने दलाई लामा की लंबी उम्र की कामना भी की।
तिब्बत की संस्कृति मिटाने का प्रयास कर रहा चीन
इस दौरान निर्वासित तिब्बती प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने कहा तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों को चीन की दमनकारी नीतियों का सामना करना पड़ रहा और कई तरह की यातनाओं को सहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत की संस्कृति और धर्म को कुचलने के लिए चीन लगातार प्रयास कर रहा। आज उन बलिदानियों को भी तिब्बती समुदाय याद कर रहा और तिब्बत में चीन की दमनकारी नीतियों का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा तिब्बत में चीन वहां की कला संस्कृति व ऐतिहासिक धरोहरों के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें समाप्त कर देना चाहता है।
आजादी की मांग को लेकर चीन के खिलाफ प्रदर्शन
अपने 65वें जनक्रांति दिवस के मौके पर तिब्बती समुदाय के सैकड़ों लोगों ने धर्मशाला में चीन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान मैकलोडगंज से लेकर धर्मशाला 10 किलोमीटर तक एक रैली भी निकाली। तिब्बत की आजादी को लेकर चीन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। रैली में तिब्बतियन यूथ कांग्रेस, तिब्बती महिला एसोसिएशन, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ तिब्बत और स्टूडेंट फॉर फ्री तिब्बत इंडिया सहित कई संगठनों ने भाग लिया।
हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र
/सुनील
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