सांप के काटने पर तुरंत व्यक्ति को पंहुचाएं अस्पताल : सीएमओ

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सांप के काटने पर तुरंत व्यक्ति को पंहुचाएं अस्पताल : सीएमओ


सांप के काटने पर तुरंत व्यक्ति को पंहुचाएं अस्पताल : सीएमओ


धर्मशाला, 20 सितंबर (हि.स.)। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग कांगड़ा द्वारा अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश दिवस के उपलक्ष्य पर शुक्रवार को मेडिकल आफ़िसर्ज व हेल्थकेयर वर्करज के लिए सर्पदंश उपचार प्रबंधन पर विशेष कार्यशाला व जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जागरूकता कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश गुलेरी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस (आईएसबीएडी) हर वर्ष 19 सितंबर को मनाया जाता है, जो कि 2018 में सर्प दंश एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू हुआ था।

डॉ गुलेरी ने इस दिवस के वर्ष 2024 के थीम सर्पदंश के कारण होने वाली विकलांगता के बारे जानकारी देते हुए बताया कि सर्पदंश के कारण शारीरिक, तंत्रिका संबंधी, मनोवैज्ञानिक जैसी विकलांगताएं हो सकती हैं।

डॉ गुलेरी ने बताया कि सांप का काटना एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता का विषय है जो मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में ग्रामीण समुदायों को प्रभावित करता है जहां जहरीले सांप प्रचलित हैं। जिनके काटने से मृत्यु, विकलांगता और भारी पीड़ा हो सकती है। डॉ गुलेरी ने कहा कि चुनौती और भी स्पष्ट हो जाती है क्योंकि इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष होता है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को स्थानीय सांप प्रजातियों, उनकी आदतों और आवासों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।

डॉ गुलेरी ने कहा कि सांप के काटने के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, हम मानव-सांप संघर्ष को कम कर सकते हैं और अपनी जैव विविधता की रक्षा कर सकते हैं। डॉ गुलेरी ने बताया कि विषैले सांप के काटने से चिकित्सा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो घातक हो सकती हैं या अगर समय पर और उचित उपचार न दिया जाए तो स्थायी क्षति हो सकती है। डॉ गुलेरी ने कहा कि सुरक्षित और प्रभावी एंटीवेनम की तुरंत उपलब्धता, समय पर रेफरल से सांप के काटने से होने वाली अधिकांश मौतों और भयावह परिणामों से बचा जा सकता है।

डॉ गुलेरी ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत में हर साल लगभग तेन से चार लाख सर्पदंश से लगभग 50 हजार मौतें होती हैं, जो वैश्विक सर्पदंश से संबंधित मौतों का लगभग आधा हिस्सा है। जबकि विभिन्न देशों में सर्पदंश के शिकार लोगों का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही क्लीनिक और अस्पतालों में रिपोर्ट करता है।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

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