डल झील में राधाष्टमी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी
धर्मशाला, 11 सितम्बर (हि.स.)। राधाष्टमी के मौके पर मिनी मणिमहेश के नाम से विख्यात धर्मशाला के नड्डी स्थित डल झील में बुधवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। राधाष्टमी के मौके पर पवित्र न्हौण यानि स्नान के लिए कांगड़ा जिला सहित दूसरे क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालू डल लेक पंहुचे। पवित्र स्नान में लोगों की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इंतजाम किए हुए थे। डल लेक में इस बार पानी भी अच्छी मात्रा में है जिससे श्रद्धालू भी संतुष्ट हैं। पिछले लंबे समय से डल लेक में पानी का रिसाव होता रहा है। हालांकि अब पहले से काफी हद तक पानी का रिसाव रुका है जिससे श्रद्धालुओं ने भी राहत की सांस ली है।
उधर इस पवित्र न्हौण के मौके पर शाहपुर के विधायक एवं विधानसभा उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया बतौर मुख्यातथि पंहुचे और उन्होंने यहां स्थित ऋषि दुर्गेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना कर लोगों की खुशहाली के लिए प्रार्थना की। उन्होंने इस मौके पर इस पयर्टन स्थल को विकसित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस स्थल को अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी।
गौरतलब है कि राधाष्टमी को डल झील में पवित्र स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालू यहां पंहुचते हैं। मान्यता है कि यहां स्नान करने से मणिमहेश की डल झील के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। जो लोग मणिमहेश नही पंहुच पाते हैं वह धर्मशाला की नड्डी स्थित डल लेक में पवित्र न्हौण में हिस्सा लेकर पुण्य कमाते हैं।
दुर्वासा ऋषि की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने किया था डल लेक का निर्माण
प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक सतयुग में दुर्वासा ऋषि ने मणिमहेश कैलाश पर्वत पर बनी पवित्र डल लेक में जन्माष्टमी और राधाष्टमी के दिनों में होने वाले पाक पवित्र शाही स्नान के महत्व को समझते हुये उसका महत्व आमजन तक पहुंचाया। बावजूद इसके उन दिनों मणिमहेश कैलाश पर्वत की दुर्गम और कठिन दूरी को मद्देनजर रखते हुये दुर्वासा ऋषि के भक्तों ने उनसे आग्रह किया कि मणिमहेश आम लोगों की पहुंच से बेहद दूर और कठिन है, ऐसे में अगर वो अपने पुण्य प्रताप से यहीं कहीं मणिमहेश के ही समान पुण्य फल देने वाली डल लेक का निर्माण करवा दें तो वो उनके बेहद आभारी रहेंगे। ऐसे में कहा जाता है कि उस समय दुर्वासा ऋषि ने भगवान शंकर का कठिन तप किया जिसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा। ऋषि ने जनता की भलाई के लिये मणिमहेश के ही समान डल लेक का निर्माण करने की सिफारिश उनके सामने कर दी। भगवान शिव ने भी प्रसन्न होकर नड्डी नामक स्थान पर एक प्राकृतिक झील का निर्माण कर दिया। साथ ही स्वंय दुर्गेश्वर महादेव के रूप में पिंडी स्वरूप यहीं विराजमान भी हो गए। तब से लेकर नड्डी डल लेक को पवित्र डल लेक मानते हुये बड़े न्हौण यानी राधाष्टमी के दिन मणिमहेश में होने वाले बड़े नहौण के साथ ही यहां भी एक नहौण (स्नान) होता है जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालू आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया
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