तीन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, एक साथ टमाटर और आलू की फसल देगा पोमेटो पौधा

तीन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, एक साथ टमाटर और आलू की फसल देगा पोमेटो पौधा
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तीन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, एक साथ टमाटर और आलू की फसल देगा पोमेटो पौधा












धर्मशाला, 07 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित दो अन्य विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पोमाटो प्रौद्योगिकी के तहत एक दोहरे उद्देश्य वाले पौधे को तैयार कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस पौधे की तस्वीरें अब आधिकारिक तौर पर भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत पंजीकृत हो गई हैं। इस नवाचार कार्य का श्रेय हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग, जैविक विज्ञान स्कूल के प्रो. प्रदीप कुमार और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के डॉ. परवीन शर्मा तथा लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब की डॉ. वंदना ठाकुर और डॉ. सनी शर्मा को जाता है।

प्रो. प्रदीप कुमार के अनुसार पोमेटो एक सरल पुनर्योजनी पौधा है, जिसे टमाटर की शाखा को आलू के रूटस्टॉक पर कलम करके विकसित किया गया है। इस प्रक्रिया से एक ऐसा अनोखा पौधा तैयार हुआ है जो जमीन के ऊपर टमाटर और जमीन के नीचे आलू उत्पन्न करता है। इस दोहरे उद्देश्य वाले पौधे में अपने दोनों मूल पौधों के अनुकूल गुण पाए जाते हैं, जैसे कि आलू में ठंड के प्रति प्रतिरोधकता तथा टमाटर में गर्मी के प्रति सहनशीलता। पोमेटो को घर के अंदर और बाहर दोनों जगह उगाया जा सकता है, जिससे यह विभिन्न कृषि परिवेशों के लिए एक बहुमुखी विकल्प बन जाता है। प्रत्येक पोमैटो पौधे को सावधानीपूर्वक हाथ से ग्राफ्ट किया जाता है, जिससे इसकी अनोखी दोहरी फसल क्षमता सुनिश्चित होती है।

इस नवाचार में आनुवंशिक इंजीनियरिंग शामिल नहीं है, बल्कि आलू और टमाटर के पौधों के बीच घनिष्ठ आनुवंशिक संबंध का लाभ उठाते हुए ग्राफ्टिंग की प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। पोमैटो कृषि प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका उद्देश्य प्रति इकाई क्षेत्र में उपज को अधिकतम करना है। यह विशेष रूप से छोटे शहरी वातावरण जैसे बालकनी या टेरेस गार्डन के लिए फायदेमंद है। पोमेटो की उल्लेखनीय दिखावट के बावजूद, यह आनुवांशिक संशोधन की बजाय प्राकृतिक ग्राफ्टिंग तकनीकों का उत्पाद है, जो एक सुरक्षित और प्राकृतिक खेती प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।

उन्होंने बताया कि सब्जी ग्राफ्टिंग सब्जी फसल उत्पादन में एक उभरती हुई तकनीक है, जो विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करती है। पोमेटो सब्जी ग्राफ्टिंग के लाभों का एक प्रमुख उदाहरण है, जो किसानों को गुणवत्ता, उत्पादन और उत्पादकता में लाभ प्रदान करता है। यह पोमेटो, बागवानी वंडर प्लांट या दोहरे उद्देश्य वाले पौधे के रूप में जाना जाता है, इसे आलू की जड़ पर टमाटर के पौधे की शाखा को ग्राफ्ट करके बनाया जाता है। इस पौधे को प्रोटोप्लास्ट फ्यूजन के माध्यम से भी विकसित किया जा सकता है। पोमेटो पौधे की सफलता काफी हद तक इस्तेमाल की जाने वाली ग्राफ्टिंग विधियों तथा शाखा और रूटस्टॉक सामग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। ग्राफ्ट यूनियन के लिए 70-90 प्रतिशत की उच्च उत्तरजीविता दर के साथ, क्लेफ्ट ग्राफ्टिंग सबसे प्रभावी विधि साबित हुई है।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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