भ्रूण जांच को रोकने के लिए जनभागीदारी सबसे जरूरी : सीएमओ

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भ्रूण जांच को रोकने के लिए जनभागीदारी सबसे जरूरी : सीएमओ


धर्मशाला, 11 मार्च (हि.स.)। भ्रूण की लिंग जांच और भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जनभागीदारी सबसे ज्यादा जरूरी है। लिंग अनुपात को बेहतर बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यदि कोई निभा सकता है तो वह समाज है। सीएमओ कार्यालय धर्मशाला में मंगलवार को आयोजित गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसी एंड पीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के तहत गठित जिला एडवाइजरी कमेटी व जिला एप्रोप्रियेट अथॉरिटी की बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि भ्रूण की लिंग जांच और भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग और कानून तो अपना काम कर ही रहे हैं लेकिन साथ ही साथ समाज के सहयोग की सर्वाधिक आवश्यकता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत गठित जिला एडवाइजरी कमेटी और जिला अप्रोप्रिएट अथॉरिटी भ्रूण हत्या और लिंग जांच को रोकने के लिए कार्य करती है। जिसमें इससे जुड़े केंद्रों, विशेषज्ञों और आम समाज के सहयोग से सबको जागरूक किया जाता है। उन्होंने बताया कि कमेटी के परामर्श पर नए अल्ट्रासाउंड केन्द्र खोलने या बंद करने के बारे में निर्णय किया जाता है। कमेटी की अनुमति के बिना कोई व्यक्ति या संस्थान अल्ट्रासाउंड नहीं कर सकता। बैठक में विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों के आवेदनों पर विस्तार से चर्चा की गई।

बकौल डॉ. गुलेरी, जिला कांगड़ा में संचालित सभी अल्ट्रासाउंड केंद्र नियमों के तहत कार्य करें, इसके लिए पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट की अनुपालना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि पूरे जिले में अल्ट्रासाउंड केंद्रों का निरीक्षण सुचारू रूप से हो सके इसके लिए खंड चिकित्सा अधिकारियों को भी निरीक्षण की शक्तियां दी गई है। सीएमओ ने बताया कि जिले में सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों का तीन महीने में एक बार निरीक्षण किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

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