लापता पोलैंड के पायलट का पांचवें दिन भी नही मिल पाया कोई सुराग
धर्मशाला, 27 अक्टूबर (हि.स.)। पैराग्लाइडिंग के लिए दुनिया भर में मशहूर कांगड़ा जिला की बीड़ बिलिंग घाटी में बीते सोमवार से लापता हुए पोलैंड के 73 वर्षीय पायलट का शुक्रवार को पांचवें दिन भी कोई सुराग नही मिल पाया है। लापता हुए इस पायलट के पैराग्लाइडर और हारनेस जरूर देखने को मिली है लेकिन पायलट का कोई सुराग नही मिल पाया है।
इस विदेशी पायलट के धर्मशाला और शाहपुर के साथ लगती कुंडली पास की पहाड़ियों में फंसे होने की सूचना है जिसके रेस्क्यू के लिए बीते चार दिनों से लगातार हेलीकाॅप्टर द्वारा ढूंढने की कोशिश की गई है। शुक्रवार को भी दो हेलीकाॅप्टरों ने पायलट की सर्च के लिए उड़ान भरी लेकिन उनका कोई पता नही चल पाया है।
उधर एएसपी कांगड़ा वीर बहादुर ने बताया कि लापता हुए विदेशी पायलट को ढूंढने के लिए आज भी हेलीकाॅप्टर ने उड़ान भरी लेकिन उनका फिलहाल कोई पता नही चल पाया है। हालांकि उनका पैराग्लाइडर और हारनेस दिखने के बाद यही उम्मीद है कि वह भी इसी जगह फंसे होंगे। उन्होंने बताया कि उक्त पायलट को रेस्क्यू करने के लिए एक टीम निकल चुकी है तथा उन्हें कल तक रेस्क्यू करने की संभावना है।
गौरतलब है कि लापता पायलट की पहचान पोलैंड निवासी आंद्रेज कुलाविक के तौर पर हुई है। पायलट ने बीते सोमवार को धर्मशाला पहुंचने के इरादे से बिलिंग से उड़ान भरी थी, लेकिन देर शाम तक उसकी वापसी का कोई संकेत नहीं मिला और वह किसी के भी संपर्क से बाहर था। वहीं बीते दिन वीरवार को उनके बारे में रेस्क्यू टीम को सूचना मिली कि वह धर्मशाला के उपरी क्षेत्र कुडंली पास की पहाड़ियों पर फंसे हुए हैं।
पायलट के जिंदा रहने की उम्मीदें होने लगी कम
उधर उक्त विदेशी पायलट के पांचवें दिन भी कोई सूचना न मिलने से अब धीरे धीरे उनके जिंदा रहने की उम्मीद भी खत्म होती जा रही है क्योंकि जिस जगह उनके गिरने की सूचना है वह इलाका बीहड़ वाला बर्फीला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में रात का तापमान काफी नीचे पंहुच जाता है। ऐसे में पांच दिनों तक बिना खाए पिए और ठंड में रहना किसी के लिए भी संभव नही है।
लापता पायलट की बेटी का भावनात्मक पत्र, हमने उम्मीद खो दी है, देरी से शुरू हुए रेस्क्यू को ठहराया जिम्मेदार
उधर लापता पायलट की बेटी एलिक्जा ने उनके पिता का रेस्क्यू नही किए जाने के लिए कथित रूप से विलंब बचाव अभियान को जिम्मेदार ठहराया। उसने कहा कि 48 घंटों तक उनके स्थान की जानकारी होने के बावजूद सहायता उन तक नहीं पहुंच सकी। शुक्रवार को उन्होंने फिर एक भावनात्मक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि हमने उम्मीद खो दी है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि सबसे बुरी चीज तब हो सकती है जब आपका कोई प्रिय व्यक्ति अकेलेपन, ठंड और अंधेरे में आपकी मदद की प्रतीक्षा में धीरे-धीरे मर रहा हो और आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते। मैं इस अनुभव की कामना सबसे बड़े शत्रु के लिए भी नहीं करती। बुधवार से हम अपने पिता का स्थान जानते हैं और यह निश्चित है, कि एक बार उतरने के बाद वह जीवित थे। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। हमने उम्मीद खो दी है। हमारी मदद करने वाले और अच्छे इरादे रखने वाले सभी लोगों को धन्यवाद।
हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।