कांगड़ा लोकसभा सीट पर रहा कांगड़ा के सांसदों का दबदबा, चंबा जिला से नहीं बना कोई लोकसभा सदस्य

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शिमला, 04 अप्रैल (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा लोकसभा सीट पर सांसद बनने में कांगड़ा जिला का ही दबदबा रहा है। चंबा जिला से अभी तक कोई भी लोकसभा सांसद नहीं बन पाया है। कांगड़ा लोकसभा सीट में कांगड़ा और चंबा जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। चंबा जिला वर्ष 1977 में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बना था। तब से लेकर इस सीट पर कांगड़ा जिला से ही सांसद निर्वाचित हुए हैं। चंबा जिला से कोई भी लोकसभा सदस्य नहीं बन पाया। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार कांगड़ा लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा चार बार और कांग्रेस के विक्रम महाजन दो बार सांसद चुने गए।

कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की 17 में से 13 विधानसभा सीटें कांगड़ा जिला और चार सीटें चंबा जिला में शामिल हैं। दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा ने ज्यादातर कांगड़ा जिला से ही उम्मीदवार दिए हैं। यही वजह रही कि चंबा जिला से कोई भी लोकसभा सांसद नहीं बन पाया। चंबा जिला के पांच में से चार विधानसभा क्षेत्र ही कांगड़ा लोकसभा सीट में आते हैं। चंबा जिला का पांगी विधानसभा क्षेत्र मंडी लोकसभा सीट में शामिल है।

कांगड़ा जिला के आठ विधानसभा क्षेत्रों ने लोकसभा सांसद दिए हैं। कांगड़ा जिला के पालमपुर, नूरपुर व सुलह विधानसभा क्षेत्रों से ही अधिकतर नेता सांसद में रहे हैं। ज्वाली, गुलेर, थुरल, धर्मशाला व बैजनाथ विधानसभा क्षेत्रों से भी सांसद चुने गए हैं। पालमपुर व सुलह से शांता कुमार सबसे अधिक चार बार सांसद रहे। नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से बिक्रम महाजन दो बार व सत महाजन एक बार सांसद चुने गए थे।

वर्ष 1971 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में शांता कुमार चार बार सांसद बने हैं। इसके अलावा बिक्रम महाजन तीन बार मैदान में उतरे थे। उन्होंने नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार जीत हासिल की। एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी विधानसभा क्षेत्र से सत महाजन ने भी तीन बार चुनाव लड़ा और वह एक बार संसद की दहलीज पर पहुंचे। सुलह विधानसभा क्षेत्र से कंवर दुर्गा चंद भारतीय लोक दल पार्टी से सांसद चुने गए थे।

कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से एकमात्र महिला सांसद रही हैं। चंद्रेश कुमारी ने भी तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा और एक बार जीत हासिल की। वर्तमान सुक्खू सरकार में कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह एक ही बार सांसद बने।

साढ़े तीन दशक तक रहा कांग्रेस का दबदबा, वर्ष 1989 में शांता कुमार ने दिलाई थी भाजपा को जीत

कांगड़ा लोेकसभा सीट पर साढ़े तीन दशक तक कांग्रेस का दबदबा रहा। इस सीट पर पहला चुनाव वर्ष 1952 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के हेमराज को जीत मिली थी। साल 1957 में कांग्रेस के पदम देव सांसद चुने गए। साल 1962 में कांग्रेस के हेम राज दोबारा सांसद बने। साल 1962 में हुए उप-चुनाव में कांग्रेस के छतर सिंह संसद गए और साल 1967 में कांग्रेस के हेम राज लोकसभा सांसद बने। साल 1967 में कांग्रेस के बिक्रम चंद महाजन, साल 1977 में लोकदल से दुर्गा चंद, साल 1980 में कांग्रेस के बिक्रम चंद महाजन और साल 1984 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी सांसद बनीं। इस सीट पर साल 1989 में पहली बार भाजपा ने परचम लहराया और शांता कुमार सांसद बने। साल 1991 में भाजपा के डीडी खनोरिया ने जीत हासिल की। साल 1996 में कांग्रेस के सत महाजन सांसद बने। साल 1998 और साल 1999 में भाजपा के शांता कुमार फिर सांसद बने। साल 2004 में कांग्रेस के चौधरी चंद्र कुमार ने शांता कुमार को हराया। साल 2009 में भाजपा के डॉ. राजन सुशांत सांसद चुने गए और साल 2014 में तीसरी मर्तबा शांता कुमार सांसद बने। साल 2019 में भाजपा के किशन कपूर रिकार्ड मतों से जीतकर लोकसभा पहुंचे।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्जवल/सुनील

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