लोकसभा चुनावों से पहले करुणामूलक नौकरियां बहाल करे सरकार, करुणामूलक संघ ने मुख्यमंत्री से उठाई मांग

लोकसभा चुनावों से पहले करुणामूलक नौकरियां बहाल करे सरकार, करुणामूलक संघ ने मुख्यमंत्री से उठाई मांग
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लोकसभा चुनावों से पहले करुणामूलक नौकरियां बहाल करे सरकार, करुणामूलक संघ ने मुख्यमंत्री से उठाई मांग




धर्मशाला, 14 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के समस्त करुणामूलक परिवार निरंतर नौकरी बहाली के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु से मिल रहे हैं। इसी कड़ी में आज एक बार फ़िर करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार व मीडिया प्रभारी गगन कुमार की अध्यक्षता में इन सभी परिवार के सदस्यों ने पालमपुर में मुख्यमंत्री से मिल कर अपनी मांग को उठाया।

अपनी मांग को उठाते हुए इन्होंने लोकसभा चुनावों से पहले करुणामूलक नौकरियों पर सरकार से जल्द से जल्द फैसला लेने की मांग की। ताकि इन परिवारों को राहत मिल सके। इन परिवारों का कहना है कि हमने अपने घर का सदस्य खोया है। आश्वासन से परिवार नहीं चलता। 20 से 25 सालों से समस्त करुणा मूलक परिवारों के मामले विभागों, बोर्डों, निगमों व विश्वविद्यालयों में लटके पड़े हैं। एक तो इन लोगों ने अपने परिवार का सदस्य खोया है और ऊपर से सरकारों की गलत नीतियां इन पर जबरन थोपी जाती है।

संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि एक तरफ राजनीतिक दलों का कहना है कि उनकी सरकारें कर्मचारी हितैषी हैं और दूसरी तरफ इन कर्मचारियों के परिवारों का शोषण निरंतर होता आ रहा हैं। जो अब इस दुनिया में नहीं है इन परिवारों की गलती क्या है।

उन्होंने कहा कि चुनावों के समय बड़े-बड़े मंचों पर उनके लिए बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं और जैसे ही सरकार सत्ता के अधीन हो जाती हैं तो इन परिवारों को दरकिनार कर दी जाता है और इन परिवारों को मुख्यमंत्री द्वारा हर बार यह आश्वासन देखकर टाल दिया जाता है कि आपके लिए नीति बनाई जा रही है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि सरकार हमें आधिकारिक लेवल पर बैठक के लिए बुलाए जिससे कि करुणामूलक नौकरियां का कोई हल निकल सके। संघ ने आगामी कैबिनेट में पॉलिसी संशोधन करके पांच लाख आय सीमा निर्धारित करने की सालाना आय शर्त को हटाया जाए। वित विभाग के द्वारा रेजेक्टेड केसों को कंसिडेर न करने की नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया जाए और रेजेक्टेड केसों को दोबारा कंसिडर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए। जिन विभागों बोर्डों निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नही हैं, उन मामलों को अन्य विभाग में शिफ्ट करके नौकरियां दी जाएं। क्लास-सी व क्लास-डी में कोटे की शर्त को हमेशा के लिए हटा दिया जाए। योग्यता के अनुसार क्लास-सी व क्लास-डी के सभी श्रेणियों के पदों में नौकरियां दी जाए ताकि एक पद पर बोझ न पड़े। उपरोक्त मांगों के सन्दर्भ में कैबिनेट में मोहर लगाई जाए।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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