केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और इंडियाना यूनिवर्सिटी शोध कार्यों को देंगे बढ़ावा

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केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और इंडियाना यूनिवर्सिटी शोध कार्यों को देंगे बढ़ावा


केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और इंडियाना यूनिवर्सिटी शोध कार्यों को देंगे बढ़ावा


केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और इंडियाना यूनिवर्सिटी शोध कार्यों को देंगे बढ़ावा














धर्मशाला, 25 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठित सार्वजनिक विश्वविद्यालय इंडियाना यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया (आईयूपी) शिक्षा और अनुसंधान में अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। आईयूपी के चार प्रतिनिधियों ने मंगलवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दौरा किया और कुलपति और विभिन्न स्कूलों के अधिष्ठाताओं के साथ एक बैठक भी की। दोनों विश्वविद्यालयों के बीच समझौता ज्ञापन पर पहले ही हस्ताक्षर हो चुके हैं। बैठक के दौरान कुलपति प्रो. बंसल ने सीयूएचपी और आईयूपी पेनसिल्वेनिया शैक्षणिक सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कई बार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना महज कागजी कार्रवाई होती है, लेकिन इस बैठक का उद्देश्य पहले से हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को जमीनी स्तर पर क्रियाशील बनाना है। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय शोध विश्वविद्यालय बनने का लक्ष्य रखता है और इसलिए अकादमिक सहयोग का अंतर्राष्ट्रीयकरण अधिक अवसर खोलेगा। यह सहयोग न केवल विश्वविद्यालय के लिए बल्कि राज्य के लिए भी लाभदायक होगा क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी होगा। बैठक का उद्देश्य संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम, सहयोगात्मक अनुसंधान कार्य, संयुक्त प्रकाशन, ऑनलाइन डिग्री कार्यक्रम, शैक्षणिक संसाधनों को साझा करने आदि के लिए व्यापक पाठ्यक्रम क्षेत्रों पर चर्चा करना है। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य छात्र विनिमय कार्यक्रमों, संकाय विनिमय, संयुक्त एवं दोहरी डिग्री और डिप्लोमा कार्यक्रमों तथा सहकारी अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से सहयोग को बढ़ावा देना है।

इस बैठक में आईयूपी प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय अधिकारी डॉ. मिशेल पेट्रुची, कॉलेज ऑफ आर्ट्स, ह्यूमैनिटीज, मीडिया एंड पब्लिक अफेयर्स के अधिष्ठाता डॉ. कर्टिस शीब, एबरली कॉलेज ऑफ बिजनेस के अंतरिम अधिष्ठाता डॉ. प्रशांथ भारद्वाज और पीईएस विश्वविद्यालय में आईयूपी इंडिया मैनेजमेंट प्रोग्राम की निदेशक दिव्याश्री रविशंकर शामिल थे।

बैठक में संयुक्त और दोहरी डिग्री कार्यक्रम शुरू करने के संबंध में सहमति बनी। दोनों विश्वविद्यालयों ने संयुक्त रूप से 4-5 कार्यक्रम शुरू करने पर सहमति जताई जिसके लिए कल होने वाली बैठक में कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इन कार्यक्रमों में ऑनलाइन मोड और व्यक्तिगत आदान-प्रदान द्वारा दोनों संस्थानों से डिग्री हासिल करने के विकल्प शामिल होंगे।

दोनों विश्वविद्यालयों के बीच अनुसंधान संबंधों को बढ़ाने के संदर्भ में, आईयूपी और सीयूएचपी के विशेषज्ञों को एकीकृत करते हुए एक संयुक्त अनुसंधान समिति का गठन किया जाएगा ताकि अनुसंधान कार्यों के लिए साझा संसाधनों का लाभ लिया जा सके।

दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और छात्रों के बीच शैक्षिक अनुभव और सांस्कृतिक समझ को समृद्ध करने के लिए संकाय और छात्रों का नियमित आदान-प्रदान किया जाएगा।

दोनों विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण वैश्विक विषयों को शामिल करते हुए पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए प्रयास करेंगे। संकाय के शैक्षणिक सहयोग के तहत शोध पत्रिकाओं, मोनोग्राफ, विश्वकोशों के संयुक्त प्रकाशन को बढ़ावा दिया जाएगा।

इस दौरान, डॉ. मिशेल पेट्रुची ने 1875 में अपनी स्थापना के बाद से आईयूपी के समृद्ध इतिहास पर प्रकाश डाला, जिसमें 1:19 का संकाय-छात्र अनुपात है और 16 देशों से 500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की मेजबानी करता है।

डॉ. कर्टिस शबी ने आईयूपी के स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों, खास तौर पर संचार पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में बात की। उन्होंने डिजिटल इतिहास, धार्मिक अध्ययन, सार्वजनिक मामले, संगीत, रंगमंच और नृत्य तथा संगीत शिक्षा सहित विभिन्न कार्यक्रमों का उल्लेख किया।

डॉ. प्रशांथ भारद्वाज ने आईयूपी में अकादमिक उत्कृष्टता, सामर्थ्य और एमबीए कार्यक्रमों में एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के एकीकरण पर आईयूपी के फोकस पर प्रकाश डाला।

हिप्रकेवि में अंतर्राष्ट्रीय छात्र एवं शैक्षणिक सहयोग केंद्र के निदेशक प्रो. विशाल सूद ने विश्वविद्यालय की हालिया उपलब्धियों को प्रस्तुत किया और विश्वविद्यालय की शोध नीति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से शिक्षा और शोध की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे संकाय और छात्रों को अधिक अनुभव मिलेगा।

दोनों साझेदार संस्थानों को उम्मीद है कि यह साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक और अनुसंधान मानकों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे दोनों संस्थानों और उनके संबंधित छात्र और संकाय समुदायों को लाभ होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/उज्जवल

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