डॉ अम्बेडकर कमजोर वर्गों और महिला सशक्तिकरण के मसीहा थे : प्रो. देविंदर सिंह

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डॉ अम्बेडकर कमजोर वर्गों और महिला सशक्तिकरण के मसीहा थे : प्रो. देविंदर सिंह


धर्मशाला, 23 दिसंबर (हि.स.)।​ ​डॉ. बी.आर. अम्बेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलपति प्रो. देविन्दर सिंह ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर को किसी एक जाति की सीमा में बांधना गलत है। वे वास्तव में समस्त कमजोर वर्गों और शोषितों के नेता थे। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के प्रति बाबा साहेब की प्रतिबद्धता और साहस इस बात का जीवंत प्रमाण है कि उनकी संवेदनाएं जातिगत सीमाओं से परे मानवता के उत्थान के लिए समर्पित थीं।

​प्रो. सिंह मंगलवार को हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के आम्बेडकर अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित ‘आम्बेडकर संवादमाला 2025-26’ के द्वितीय सत्र में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। ‘हिन्दू कोड बिल : सामाजिक समरसता का अनछुआ आयाम’ विषय पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक सुधारों के प्रति उदारता ही हिंदू समाज की सबसे बड़ी विशेषता है, जिसके कारण यह समाज हर चुनौती का सामना करने में सक्षम रहा है।

​सामाजिक समरसता का माध्यम है शिक्षा

प्रो. सिंह ने विकसित भारत के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि जातिगत विभेद का लाभ हमेशा बाहरी आक्रमणकारियों ने उठाया है, इसलिए आज सामाजिक समरसता के प्रति सजग रहना अनिवार्य है। उन्होंने विश्वविद्यालयी परिसरों और पाठ्यक्रमों को सामाजिक बदलाव का सबसे बड़ा केंद्र बताया।

​हिंदू कोड बिल: राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास : प्रो. प्रदीप कुमार

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार ने हिंदू कोड बिल को सामाजिक समरसता का सशक्त उपकरण बताया। वहीं, अम्बेडकर अध्ययन केन्द्र के प्रभारी डॉ. किस्मत कुमार ने कहा कि बाबा साहेब का यह प्रयास भौगोलिक और भाषाई दूरियों को मिटाकर भारतीय समाज को सदियों बाद एक कानूनी सूत्र में बांधने का था।

​इस सत्र में विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने सामाजिक न्याय और विधिक सुधारों के अनछुए पहलुओं पर चर्चा की।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया

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