हिमालयन गद्दी यूनियन ने गद्दी समुदाय की छह वंचित उप-जातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग दोहराई

हिमालयन गद्दी यूनियन ने गद्दी समुदाय की छह वंचित उप-जातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग दोहराई
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हिमालयन गद्दी यूनियन ने गद्दी समुदाय की छह वंचित उप-जातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मांग दोहराई


धर्मशाला, 23 जनवरी (हि.स.)। हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश ने गद्दी समुदाय की छह वंचित उप-जातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने की मुख्य मांग को एक बार फिर जोर-शोर से उठाया है। राजस्व रिकार्ड में दरूस्ती को लेकर वंचित उप-जातियों की ओर से लगभग अढ़ाई दशकों से मांग उठाई जा रही है। जबकि अब पिछले सात से आठ वर्षों में हिमालयन गद्दी यूनियन के एक बैनर तले जोर-शोर से गद्दी शब्द जोड़ने की मांग का उठाती आ रही है।

हिमालयन गद्दी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष मोहिंद्र सिंह का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से 19 बार जबकि मौजूदा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी तीन बार मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपकर अवगत करवाया गया है।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं राज्य में रहने वाली सरकारों ने सचिवालय के सचिवों व कांगड़ा-चंबा के उपायुक्तों के माध्यम से छह बार गद्दी शब्द जोड़े जाने की जांच करवाई है। जिसमें रिपोर्ट सही पाए जाने व गद्दी शब्द को जोड़े जाने की सिफारिश के बावजूद न जाने क्यों मामला अधर में लटकाया जा रहा है। अब हिमालयन गद्दी यूनियन ने कांगड़ा, चंबा व मंडी सहित विभिन्न क्षेत्रों में चार लाख से अधिक आबादी का हवाला देते हुए जल्द गद्दी शब्द प्रदान न किए जाने पर बड़े आंदोलन व लोकसभा चुनावों में बड़ा प्रभाव डालने का भी ऐलान किया है।

हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने अपनी समस्त राज्य कार्यकारिणी के साथ धर्मशाला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि गद्दी शब्द को समुदाय की छह वंचित उपजातियों के साथ जोड़ने की लगातार सरकार से मांग उठा रहे हैं, लेकिन अब तक इस मुद्दे का हल नहीं हो पाया है।

मोहिंद्र सिंह ने कहा प्रदेश में कुछ अधिकारी लगातार गद्दी समुदाय में होते हुए गद्दी शब्द को राजस्व रिकार्ड में हटाने की त्रुटि को दरूस्त करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समुदाय में 70 फीसदी आवादी छह उप-जातियों की हैं, जबकि मात्र 30 फीसदी ही अन्य उप-जातियां गद्दी शब्द अपने साथ जोड़े हुए हैं। अध्यक्ष ने कहा कि ट्राईबल स्टेटस को लेकर हमारी मांग नहीं है, मात्र अब मान-सम्मान के लिए ही गद्दी शब्द की जरूरत है। जबकि जनजाति का दर्जा केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2003 में गद्दी समुदाय को प्रदान किया जा चुका है।

प्रदेशाध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि इस बाबत पांच-पांच बार जांच पड़ताल की जा चुकी है। बावजूद इसके अब चार लाख से अधिक लोगों को नाराज किए जाने का खामियाजा सरकार को भुगतान पड़ेगा। इस विषय को लेकर प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी मांग उठाई गई है, लेकिन अब तक कोई उचित कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही इस विषय पर उचित कदम न उठाने पर अब बड़ा जन आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इस मौके पर यूनियन की राज्य व जिला कार्यकारिणी के दर्जनों पदाधिकारी विशेष रूप से मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र

/सुनील

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