तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने तिब्ब्ती समुदाय को दी लोसर की बधाई

तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने तिब्ब्ती समुदाय को दी लोसर की बधाई
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तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने तिब्ब्ती समुदाय को दी लोसर की बधाई


धर्मशाला, 10 फरवरी (हि.स.)। तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने तिब्बती समुदाय को नववर्ष लोसर 2151 की बधाई देते हुए उनके बेहतर भविष्य की कामना की है। धर्मगुरू ने इस मौके पर अपने संदेश में कहा कि कम्युनिस्ट चीन सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से तिब्बतियों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने का प्रयास किया है। बावजूद इसके यह स्पष्ट हो गया है कि आज दुनिया में हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को नष्ट करने के बजाय उनमें नए सिरे से रुचि पैदा हो रही है।

दलाई लामा ने कहा कि निर्वासन में कठिनाइयों से गुजरने और एक शक्तिशाली कम्युनिस्ट चीनी शासन के तहत रहने के बावजूद, हमारे लोग, जिनमें से अधिकांश तिब्बत के अंदर हैं, मेरे नेता होने के बावजूद सुरक्षित रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहत की बात यह है कि चीनी शासन के तहत रहने के बावजूद, हमारे लोगों की आस्था और आकांक्षा, जिनमें से अधिकांश तिब्बत के अंदर हैं, कम नहीं हुई हैं।

उन्होंने कहा कि आज न केवल तिब्बतियों के बीच बल्कि कुछ चीनियों के बीच भी बौद्ध धर्म में नए सिरे से रुचि बढ़ी है। आज दुनिया के कई हिस्सों में तिब्बती आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को तार्किक, तर्कसंगत और व्यावहारिक लाभ के रूप में माना जाता है।

धर्मगुरू ने कहा कि आजकल पश्चिमी देशों में भी बड़ी संख्या में लोग तिब्बती संस्कृति और आध्यात्मिकता में रुचि ले रहे हैं। मैं उन पश्चिमी वैज्ञानिकों की बढ़ती संख्या से भी अवगत हूं जो हमारी संस्कृति में पाए जाने वाले दयालु हृदय विकसित करने के तरीकों की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने तिब्बती समुदाय खासकर युवा पीढ़ी से कहा कि तिब्बत की सभ्य संस्कृति एक सार्वभौमिक खजाने की तरह है। आपको इसे कायम रखना चाहिए। तिब्बतियों को आम तौर पर दयालु लोगों के रूप में पहचाना जाता है, लेकिन हमारा जन्म अलग तरीके से नहीं हुआ है, हम अन्य इंसानों की तरह ही हैं। हालांकि, हमें बचपन से ही दयालु हृदय रखने और दुनिया भर के लोगों तक अपनी दयालुता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, चाहे वे धर्म में विश्वास करते हों या नहीं।

दलाई लामा ने कहा कि बौद्ध मनोविज्ञान के संबंध में बौद्ध परंपराओं के बीच तिब्बती बौद्ध धर्म इसकी सबसे गहरी समझ प्रस्तुत करता है। विशेष रूप से मैं तिब्बत के अंदर तिब्बतियों की अटूट आस्था और भक्ति के लिए उनकी सराहना व्यक्त करना चाहता हूं। फिर भी, मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बतियों की नई पीढ़ी को उन अच्छे रीति-रिवाजों की गहरी समझ हो जिन्हें हमने एक हजार वर्षों से अधिक समय से कायम रखा है, सिर्फ इसलिए नहीं कि वे हमारे रीति-रिवाज हैं बल्कि इसलिए भी कि वे तर्क के अनुरूप हैं। हम विश्व में शांति की आशा व्यक्त करते हुए शांति की बात करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

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