बौद्ध धर्म न केवल जीवित रहे, बल्कि फलता-फूलता रहे: दलाई लामा

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बौद्ध धर्म न केवल जीवित रहे, बल्कि फलता-फूलता रहे: दलाई लामा


धर्मशाला, 1 अक्टूबर (हि.स.) । तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा कि चीन और अन्य जगहों पर बुद्ध धर्म के बारे में लोगों की रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मैंने तिब्बत, चीन और मंगोलिया में बौद्ध धर्म को पनपते देखने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम तिब्बतियों ने बुद्ध की संपूर्ण शिक्षा को संरक्षित किया है, लेकिन हम अभी भी अनुष्ठान करने में बहुत अधिक प्रयास करते हैं। दलाई लामा ने कहा कि बौद्ध धर्म न केवल जीवित रहे, बल्कि फलता-फूलता रहे। जो लोग अभ्यास और ध्यान करते हैं, वे अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं। एक बच्चे के रूप में, मुझे भी अध्ययन या अभ्यास में बहुत रुचि नहीं थी लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं तीन प्रशिक्षणों को बनाए रखने के व्यावहारिक लाभों की सराहना करने लगा। इसी कारण से मैंने अभ्यास किया है और उन मित्रों के साथ शिक्षा को साझा किया है जो इसमें रुचि रखते थे। उन्होंने कहा कि “मैंने अपने सपनों में संकेत देखे हैं कि मैं सौ और 110 दस साल से अधिक जीवित रह सकता हूं। धर्मगुरू ने यह बात मंगलवार को मैकलोड़गंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में ताईवानी बौद्ध अनुयायियों द्वारा उनकी लंबी आयु के लिए रखी गई प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए कही।

दलाई लामा ने कहा कि ताइवान के लोगों ने मेरी लंबी आयु के लिए यह अनुष्ठान किया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि जहां बौद्ध धर्म का पतन हुआ है, वहां यह फले-फूले और जहां यह अभी तक नहीं फैला है, वहां इसका प्रचार हो। धर्मगुरू ने कहा कि हम तिब्बत, चीन और मंगोलिया के लोग जहां भी हों, हम सभी इंसान होने के मामले में एक जैसे हैं। जैसा कि मैंने कहा है, बौद्ध धर्म अब दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गया है। जब मैं वैज्ञानिकों से मिलता हूं, तो मैं एक वैज्ञानिक होता हूं जब मैं धार्मिक लोगों से मिलता हूं, तो मैं भी धार्मिक होता हूं। मैं प्रार्थना करता हूं कि बौद्ध धर्म न केवल जीवित रहे, बल्कि फलता-फूलता रहे।

वहीं इस मौके पर चांगक्या रिनपोछे ने परम पावन को दीर्घायु होने के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद देते हुए एक मंडल और शरीर, वाणी और मन के ज्ञान के चित्रण भेंट किए।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

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