महात्मा बुद्ध की समृतियों के इंतजार में टकटकी लगाए चुगलाखंग के प्रांगण में बैठे रहे धर्मगुरु दलाई लामा
धर्मशाला, 04 अप्रैल (हि.स.)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के लिए वीरवार का दिन ऐसा अनुभव व यादें दे गया जो वह शायद कभी नही भुला पाऐंगे। जी हां यह मौका था पूरे विश्व में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले महात्मा बुद्ध की कुछ समृतियों के बौद्ध नगरी मैकलाड़गंज पंहुचने का। यह शायद पहला मौका था जब धर्मगुरु इन पलों का स्वागत व दीदार करने के लिए चुगलाखंग बौद्ध मठ के प्रांगण में बेसब्री से इंतजार करते रहे।
इस दौरान वीरवार को श्रीलंका से जैसे ही महात्मा बुद्ध की समृतियां मैकलोड़गंज पंहुची तो तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने उनका गर्मजोशी और शांत मनोभाव के साथ स्वागत करके उन्हें स्र्पश कर अपने माथे से लगाया।
गौरतलब है कि वीरवार को महत्मा बुद्ध की स्मृतियां मैकलोड़गंज पहुंची। श्रीलंका से लाई गई स्मृतियों के चुगलाखंग बौद्ध मठ पहुंचने के अवसर पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा भी मौजूद रहे। धर्मगुरु ने स्मृतियों को स्पर्श किया। इसके बाद स्मृतियों को दलाई लामा आवास पर ले जाया गया। स्मृतियों को लेकर कांगड़ा एयरपोर्ट से आए वाहन का जगह-जगह जुटे तिब्बतियों और बौद्ध भिक्षुओं ने स्कार्फ (खतका) डाल कर अपनी आस्था को प्रकट किया। इस मौके पर कांगड़ा एयरपोर्ट पर भी तिब्बती समुदाय ने पांरपरिक तरीके से श्रीलंका से आए प्रतिनिधिमंडल और महात्मा बुद्ध की समृतियों का स्वागत किया।
2017 में किया गया था संपर्क: लिंग रिंपोछे
7वें क्याब्जे योंगजिन लिंग रिंपोछे ने कहा कि श्रीलंका में श्रीलंका-तिब्बती बौद्ध ब्रदरहुड के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. डेमेंडा पोरगे ने 2017 में परम पावन दलाई लामा को कपिलवस्तु अवशेष भेंट करने के विचार के साथ उनसे संपर्क किया था। छह साल की योजना और तैयारी के बाद, हम अंततः इस अनुरोध को पूरा करने में सक्षम हुए हैं। श्रीलंका में दो प्रमुख बौद्ध मठ हैं, दलाईलामा द्वारा पिछले 60 वर्षों से मानवता और बुद्धत्व के लिए कार्य किया जा रहा है। जिसके चलते श्रीलंका के बौद्ध भिक्षुओं ने धर्मगुरु दलाईलामा को यह अमूल्य अवशेष सौंपे हैं। उधर बताया जा रहा है कि इन स्मृतियों को तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा से स्पर्श करवाकर विश्व भर में जहां भी बौद्ध मठ हैं, वहां पर भेजा जाएगा।
उधर इस मौके पर निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग सहित मंत्री और अन्य अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में तिब्बती समुदाय के लोग मौजूद रहे। धर्मगुरु का आर्शीवाद लेने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी समुदाय और तिब्बती समुदाय के लोग मौजूद रहे। नेपाल से आई तिब्बती युवती नावा ने कहा कि इस बार मैक्लोड़गंज आने पर उन्हें धर्मगुरु दलाईलामा का आशीर्वाद मिला और आज महात्मा बुद्ध के अवशेष देखने का मौका मिला। धर्मगुरु के दर्शन और उनकी शिक्षाओं को सुनने यहां आते रहते हैं। धर्मगुरु के दर्शन करके इतनी खुशी हो रही है कि उसे बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नही हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील
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