गगल एयरपोर्ट विस्तारीकरण के प्रभावित सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे, विरोध में बाज़ार रहा बन्द
धर्मशाला, 27 फरवरी (हि.स.)। कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट विस्तारीकरण की जद में आ रहे सैंकड़ो लोग मंगलवार को सड़कों पर उतर आए। सरकार से नाराज इन लोगों गगल बाजार में विरोध रैली निकालकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। इस दौरान पूरा गगल बाजार भी बंद रखा गया। प्रभावित परिवारों के सैंकड़ों लोगों ने सरकार से मुआवजे सहित उनके पुनर्वास को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग उठाई।
लोगों का कहना है कि उनके सपनों को चकनाचूर सरकार अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहती है। विस्तारीकरण के नाम पर जिस तरह सरकार हमें परेशान कर रही है, उसी तरह हम भी सरकार को चैन की नींद नहीं सोने देंगे। इसके लिए लोग भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ी तो हर रोज गगल में जुलूस निकाला जाएगा। एयरपोर्ट विस्तार के विरोध में निकाले गए जुलूस में शामिल लोगों का कहना था कि सरकार एयरपोर्ट विस्तार के लिए जबरन हमारी जमीनें लेकर हमारे व्यापार को खत्म करने पर तुली हुई है। हमारे भविष्य को अंधकारमय बनाने की साजिश रची जा रही है। सरकार यह बताने में असमर्थ है कि हमारी जमीनें ली जा रही हैं, लेकिन हमें दिया क्या जा रहा है। विस्थापितों के पुर्नस्थापन के लिए न तो सरकार और न ही अधिकारियों का रवैया सही है। विस्तारीकरण करना है तो हमारी शर्तों पर होना चाहिए। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रभावित पंचायतों के प्रतिनिधियों के अलावा बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
मुआवजा देने में बंद हो रही सरकार की पॉकेट : रेणु
गगल पंचायत प्रधान रेणु पठानिया ने कहा कि सरकार कहती है कि पॉकेट अनुसार मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन विस्तारीकरण की प्रपोजल के समय पॉकेट का आकलन क्यों नहीं किया गया। सरकार की पॉकेट छोटी है तो सरकार विस्तार को बंद कर दे, हमारी पॉकेट में हाथ डालकर सब कुछ लेना चाहती है, लेकिन मुआवजा देने में सरकार की पॉकेट बंद हो रही है। सरकार को खुला चैलेंज है कि पैसा नहीं है तो मत आइए हमारे पास और विस्तार के प्रोजेक्ट को बंद कर दो। नेता अमीर से अमीर होते जा रहे हैं और सरकार कहती है कि हिमाचल गरीब राज्य है।
नए प्लान पर लोगों से चर्चा करे सरकार, फिर सोचेंगे : अनीता
स्थानीय निवासी अनीता कपूर ने कहा कि एयरपोर्ट विस्तार को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट ने स्टे दिया था, जिस पर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीमकोर्ट में नया पुर्नवास प्लान लाने की बात कही गई थी, जबकि धरातल में सरकार की ओर से अभी तक पुनर्वास का नया प्लान नहीं बताया गया है और सरकार पुराने प्लान पर ही कार्य कर रही है। सरकार पर्यटकों को वर्ल्ड वाइड इन्फ्रास्ट्रक्चर देना चाहती है, जिसके लिए हमारी जमीनें ली जा रही हैं, लेकिन हमें क्या दिया जा रहा है। जब तक सरकार कोई ठोस पुनर्वास प्लान नहीं देती है, तब तक हम अपनी जमीनें नहीं देंगे। सुप्रीमकोर्ट में सरकार की ओर से जो कहा गया है, उसी अनुरूप नया प्लान सरकार लाए, उसके बाद विस्थापितों से चर्चा करे। जनता स्वीकृति प्रदान करेगी उसके बाद सरकार हमारी जमीनों का अधिग्रहण कर सकती है।
परिवार के सदस्यों को एक-एक परिवार गिना जाए : रमेश बराड़
जिला परिषद चेयरमैन रमेश बराड़ ने कहा कि लोगों को सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि विस्थापितों को फेक्टर वन दिया जाएगा या फेक्टर टू दिया जाएगा, जिसके चलते लोग असमंजस में हैं। सरकार की ओर से गगल व अन्य क्षेत्रों के जमीन रेट अलग-अलग बताए जा रहे हैं, लोग चाहते हैं कि जिनकी जमीनें जा रही हैं, उन सभी का रेट एक जैसा हो। परिवार के चार सदस्यों को एक परिवार गिना जा रहा है, जबकि लोगों का कहना है कि यदि एक परिवार में चार सदस्य हैं तो उन्हें चार परिवार गिना जाए। सरकार छह-छह मरले जगह देने की बात कह रही है, इतनी भूमि में मकान बनाना कैसे संभव है। विस्थापितों को कहां बसाया जाएगा, व्यापारियों को कहां भेजा जाएगा। प्रभावितों की बात को सरकार व प्रशासन को सुनना चाहिए, उसी के बाद अगला कदम उठाना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील
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