देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता : त्रिलोक कपूर
धर्मशाला, 14 अगस्त (हि.स.)। देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह शब्द हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने बुधवार को संगठनात्मक जिला कांगड़ा द्वारा धर्मशाला में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि 1947 में धर्म के आधार पर देश का विभाजन इतिहास में एक काला अध्याय है। भारत के विभाजन की पीड़ा और देश के बंटवारे के दर्द को भुलाना बहुत कठिन है, नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी।
कपूर ने कहा कि उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में भारतीय जनता पार्टी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश भाजपा महामंत्री कपूर ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारत वासियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया।
उन्होंने कहा कि यही नहीं यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। यही नहीं देश के विभाजन का घाव अपनों को खोने के दुख को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता। भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा विभाजन स्वीकार करना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। भारत विभाजन के परिणाम स्वरूप छह लाख लोग मारे गए, डेढ़ करोड़ लोग बेघर हुए और एक लाख महिलाओं के साथ अनाचार हुआ।
भाजपा नेता कपूर ने कहा कि दो जून 1947 की बैठक में जो सहमति बनी थी तो भारत के विभाजन का निर्णय एक पूर्व शर्त की तरह था। इस विभाजन से जिन नेताओं को अपना उज्जवल भविष्य दिख रहा था उनमें पंडित नेहरू सबसे आगे थे। इस विभाजन घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि पंडित नेहरू ने मात्र प्रधानमंत्री की कुर्सी पाने के लिए न केवल देश के टुकड़े करवाए, बल्कि लाखों लोगों के खून से भारत की भूमि को नहला दिया, घृणा का जो बीज उसमें बोया गया उसे पूरी तरह नष्ट करने के लिए आने वाली कई पीढियां को मिलकर प्रयास करना होगा।
भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण पिछले 75 वर्षों से हम उन लाखों पुरुषों और महिलाओं को याद किए बिना आजादी का जश्न मना रहे थे। लेकिन पिछले साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के साथ अब 15 अगस्त को होने वाले भविष्य के आयोजनों में हमेशा नरसंहार के पीड़ितों की समृतियां सदैव सभी भारतीयों के मन मस्तिष्क में विद्यमान होंगी।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया / सुनील शुक्ला
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