आपसी भाईचारे, समृद्ध संस्कृति के संवाहक और सौहार्द बढ़ाने वाले होते हैं ग्रामीण मेले : जयराम

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आपसी भाईचारे, समृद्ध संस्कृति के संवाहक और सौहार्द बढ़ाने वाले होते हैं ग्रामीण मेले : जयराम


मंडी, 26 मई (हि.स.)। ग्रामीण मेले आपसी भाईचारे, समृद्ध संस्कृति के संवाहक और सौहार्द बढ़ाने वाले होते हैं। इनके आयोजन में राजनीति करना शोभा नहीं देता है। दुर्भाग्य से इस सरकार ने सत्ता में आते ही ग्रामीण मेले करवाने का अधिकार कई जगह स्थानीय पंचायतों और निकायों से छीनकर अपने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के हाथ में सौंपना शुरू कर दिया है जो अपनी मनमानी कर मेलों का राजनीतिकरण करने में लगे हैं। जिलास्तरीय बालीचौकी मेले में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे नेता प्रतिपक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यह बाते कहीं।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं बालीचोकी मेला कमेटी को बधाई देता हूं कि आपने इस मेले में सबको साथ लेकर अच्छा आजोजन किया है और मुझे भी इस मेले में आने का मौका दिया। ये मेला मेरे दिल के बहुत करीब है। राजनीति के शुरुआती दिनों में यहां चार साल काटें हैं और उसके बाद ही आज इस मुकाम तक पहुंचा हूं। आप सबका ऐसे ही मुझे साथ मिलता रहे और मैं आपकी सेवा करता रहूं उसी लिया यहां आया हूं।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अभी जयराम का दौर खत्म नहीं हुआ है ये दौर फिर आएगा। हमने कभी भेदभाव की राजनीति नहीं की। आज मामूली अंतर से ऐसी सरकार आई है जो बदले की भावना से काम कर रही है। आर्थिक संकट का शोर मचाकर सैंकड़ों संस्थान जो आगे बढऩे के लिए हमने पूरे प्रदेश में खोले थे उनको सुक्खू सरकार ने प्रतिशोध की भावना के साथ बंद कर दिया। ये आर्थिक संकट आज का नहीं है। मेरे से पहले भी सरकारें रही हैं।

उन्होने कहा कि हमने तो वीरभद्र सरकार के आखिरी एक माह में खोले सैंकड़ों संस्थानों को बंद नहीं किया था। बल्कि उन्हें आगे ही बढ़ाया। आज मुख्यमंत्री के खास कहलाने वाले नेता सराज को दो हिस्सों में बांटकर रोज घूम रहे हैं। आप सत्ता में हो और आपकी अगर मुख्यमंत्री सुनता है तो क्यों नहीं इस सरकार द्वारा सराज में बंद किए 50 से अधिक संस्थानों को फिर खुलवाने के लिए आवाज उठाते हो।

जय राम ने मेला आयोजन के लिए अपनी ऐच्छिक निधि से 31000 रुपए देने की घोषणा की। इससे पूर्व उनका बालीचौकी पहुंचे पर लोगों ने भव्य स्वागत किया और कंधों पर उठाकर मेला स्थल तक लाया। यहां उन्होंने देव मार्कण्डे्य ऋषि और देव चुंजवाला ऋषि का दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ मुरारी/सुनील

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