हिमाचल के जनजातीय इलाकों में विकास पर जोर, सरकार ने तेज किए काम

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हिमाचल के जनजातीय इलाकों में विकास पर जोर, सरकार ने तेज किए काम


शिमला, 21 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम और जनजातीय इलाकों में विकास अब कागज़ों तक सीमित नहीं है। इसका असर ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है। प्रदेश सरकार जनजातीय क्षेत्रों के समावेशी विकास को प्राथमिकता देते हुए लगातार नई पहल कर रही है। राज्य की कुल आबादी का लगभग 5.71 प्रतिशत हिस्सा जनजातीय समुदायों का है और सरकार का दावा है कि इन क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक उत्थान को ध्यान में रखकर योजनाओं को लागू किया जा रहा है। एक सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत राज्य योजना का नौ प्रतिशत हिस्सा इन इलाकों के लिए तय किया गया है। पिछले तीन वर्षों में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2,386.15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 638.73 करोड़ रुपये रखे गए हैं। सरकार का कहना है कि यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और आजीविका से जुड़े कार्यों पर खर्च किया जा रहा है।

प्रवक्ता ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में पांगी घाटी को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उप-मंडल घोषित किया गया है। यहां के किसानों से प्राकृतिक खेती से उगाई गई जौ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। अब तक करीब 40 मीट्रिक टन जौ की खरीद की जा चुकी है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ी है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए फरवरी 2024 में स्पीति से इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख-सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई थी।

उन्होंने बताया कि सरकार जनजातीय युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने पर भी जोर दे रही है। परिवहन क्षेत्र में काम शुरू करने के इच्छुक युवाओं को बस और ट्रेवलर खरीदने पर 40 प्रतिशत तक सब्सिडी और चार महीने तक सड़क कर में छूट दी जा रही है। वहीं सौर ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 100 किलोवाट से दो मेगावाट तक की परियोजनाओं पर पांच प्रतिशत ब्याज उपदान देने की व्यवस्था की गई है।

प्रवक्ता के मुताबिक बुनियादी ढांचे की बात करें तो पिछले तीन वर्षों में जनजातीय क्षेत्रों में सड़कों, पुलों और भवनों के निर्माण पर लगभग 476 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इन इलाकों में 3,148 किलोमीटर मोटर योग्य सड़कों का निर्माण हुआ है और करीब 61 प्रतिशत सड़कें पक्की हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने बर्फबारी वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल से निर्माण कार्य शुरू करने के लिए टेंडर प्रक्रिया समय पर पूरी करने के निर्देश दिए हैं। किन्नौर में निगुलसरी क्षेत्र में नई सड़क बनाने की योजना भी है, जिससे यातायात सुगम होगा।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में निचार, भरमौर, पांगी और लाहौल में चार एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित किए गए हैं, जिनमें इस समय 1,008 छात्र पढ़ रहे हैं। पांगी और कुकुमसेरी में नए परिसरों की आधारशिला रखी जा चुकी है, जबकि अन्य स्थानों पर निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा जनजातीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा कर परियोजना केंद्र सरकार को भेजी गई है।

प्रवक्ता ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए जनजातीय इलाकों में क्षेत्रीय अस्पताल, नागरिक अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ आयुर्वेदिक अस्पताल और औषधालय भी स्थापित किए गए हैं। पशुपालन से जुड़े लोगों के लिए पशु चिकित्सालय और भेड़-ऊन विस्तार केंद्र भी काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में किन्नौर के शिपकी-ला में सीमावर्ती पर्यटन शुरू होने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकार शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा और तिब्बत के साथ पारंपरिक व्यापार को फिर से शुरू करने के प्रयास कर रही है। लाहौल-स्पीति के काज़ा में स्टार गेज़िंग जैसी नई सुविधाएं शुरू की गई हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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