हिमाचल का राजकोषीय घाटा 12114 करोड़ पहुंचने का अनुमान

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हिमाचल का राजकोषीय घाटा 12114 करोड़ पहुंचने का अनुमान


शिमला, 05 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था इस समय भारी दबाव में है। प्राकृतिक आपदाओं के लगातार प्रकोप, जीएसटी दरों में बदलाव और उत्पादन शुल्क से होने वाली आय में कमी के कारण प्रदेश की वित्तीय स्थिति कमजोर होती जा रही है। स्थिति यह है कि चालू वित्त वर्ष में राज्य का राजकोषीय घाटा बजट में तय किए गए 10337.97 करोड़ रुपए के मुकाबले बढ़कर 12114 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। यानी इस साल घाटे में 1776 करोड़ रुपए की और बढ़ोतरी होगी, जो प्रदेश की जीडीपी का 4.74 प्रतिशत है।

शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा में पेश एफआरबीएम रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटे को कम करने और राजस्व बढ़ाने के लिए कर और गैर कर राजस्व में बढ़ोतरी जरूरी है। सरकार बाहरी वित्त पोषित परियोजनाओं और केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं से भी अधिक धन जुटाने की कोशिश करेगी, ताकि आर्थिक स्थिति को संभाला जा सके और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मौजूदा कठिन दौर से बाहर निकाला जा सके।

रिपोर्ट के अनुसार वेतन और पेंशन पर होने वाला खर्च हर साल बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष में वेतन पर 13837.36 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है, जबकि बजट में इसकी राशि 14538 करोड़ रुपए रखी गई थी। इसी तरह पेंशन पर 10850 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। उपदानों पर भी खर्च काफी बढ़ा है। गत बजट में उपदानों के लिए 1420 करोड़ रुपए का प्रावधान था, लेकिन अब यह खर्च बढ़कर 2508 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है, यानी 1088 करोड़ रुपए अधिक। इसके अलावा ब्याज भुगतान पर भी सरकार को इस वर्ष 6738.85 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में राजस्व प्राप्तियों में भी कमी की आशंका है। बजट में राजस्व की अनुमानित राशि 16101.10 करोड़ रुपए थी, लेकिन वास्तविक प्राप्ति लगभग 14374 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। इस प्रकार 1726 करोड़ रुपए की कमी रहेगी।

केंद्रीय योजनाओं से समर्थन केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं और अनुदानों से इस बार हिमाचल को अतिरिक्त राहत मिली है। चालू वित्त वर्ष में इन योजनाओं के तहत 1662.73 करोड़ रुपए अधिक मिलने की उम्मीद है। बजट में इन योजनाओं से 5263 करोड़ रुपए की प्राप्ति का अनुमान था, जो बढ़कर 6925 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। एनडीआरएफ, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएमजीएसवाई और अन्य केंद्रीय योजनाओं से मिले अतिरिक्त अनुदानों के कारण यह बढ़ोतरी हुई है। इसी दौरान राजस्व घाटा बढ़कर 7434.93 करोड़ रुपए पहुंचने की संभावना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

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