हिमाचली उपन्यास देबकू...एक प्रेमकथा अंग्रेजी में प्रकाशित होगा, दुनिया भर के पाठकों के लिए रहेगा उपलब्ध
मंडी, 05 मई (हि.स.)। राजनीतिक हंगामें और भ्रामक प्रचार के माहौल के बीच साहित्य के पाठकों के लिए एक सुकून भरी और सुखद खबर भी है। हिमाचल की लोकगाथा पर आधारित एक मात्र उपन्यास देबकू ...एक प्रेमकथा का अब अंग्रेजी में प्रकाशन होने जा रहा है। जिसके चलते अब यह उपन्यास दुनिया भर के पाठकों के लिए उपलब्ध रहेगा। हिंदी के पाठकों की तरह अंग्रेजी के पाठक भी अब इस मशहूर लोकगीत के मर्म, मंडी रियासत के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू होंगे।
मशहूर साहित्यकार मुरारी शर्मा द्वारा लिखित इस उपन्यास का अनुवाद हाल ही में युवा साहित्यकार अनुवादक पंकज दर्शी ने किया है। पंकज दर्शी कहते हैं कि मेरा मंतव्य हिमाचल में लिखे गए बेहतर साहित्य को विश्व पटल पर लाना है, यह प्रयोग और कोशिश अब सफलता की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि देबकू एक प्रेमकथा तीसरा ऐसा उपन्यास है जिसका अनुवाद मैंने स्वेच्छा से किया है ।
उन्होंने बताया कि उपन्यास के माध्यम से मंडी के अतीत के दर्शन हुए । अक्सर जब भी कुछ पन्ने मैं अनुवाद कर लेता तो एक बार इस गीत को सुनता, यह यू ट्यूब पर उपलब्ध है । अब तक सैंकड़ों बार इसे सुन चुका, गुनगुना चुका हूं, मन नहीं भरता, सोचता हूं कि कोई बड़ी गायिका इस गीत को गाए । पहाड़ के इन गीतों को आवाज मिलनी चाहिए । ऐसी आवाज जो इन लोकगीतों को अमर कर दे । आज बदलते दौर में बहुत कुछ भुलाया जा रहा है । इस उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद पूरा हो गया है...अब यह विश्व भर के लोगों के लिए उपलब्ध होगा।
गीत को सुन भर आती है आंख भर आई
पंकज दर्शी ने बताया कि पहली बार उनके पिता जी ने इस गीत को अपने पोते को लोरी में सुनाया, 2017 गर्मियों के वे दिन याद आते हैं, तो मैं इसकी तर्ज का कायल हो गया । मैंने पिता जी से इस लोकगीत की के बारे में पूछा । उन्होंने इसकी तर्ज मुझे सुनाई, और इसकी कविता ने मेरी आंखों में पानी भर दिया । कितना मार्मिक गीत...कितनी महान प्रेमकथा ! उन्होंने बताया कि देबकू -जिंदू की कहानी पहली बार 2।023 में मंडी की सुप्रिद्ध गायिका रूपेश्वरी शर्मा ने गाकर सुनाई, उन्होंने गीत को गुनगुनाया, मैं भाव विभोर हो उठा, गाते गाते उनकी भी आंखें छलक गई ।
पाठकों और समीक्षकों ने सराहा है उपन्यास
इधर, उपन्यासकार मुरारी शर्मा का कहना है कि हिमाचल के इस मार्मिक लोकगीत पर यह एकमात्र उपन्यास है जिसकी पाठकों और समीक्षकों ने खुले दिल से सराहना की है। हरीप्रिया शर्मा का कहना है कि यह उपन्यास प्रेम पर्व की अनूठी दास्तां हैं । देबकू और जिंद की यह मर्मस्पर्शी प्रेम कहानी अत्यंत रोचक, मन को द्वंद्व से भरने वाली उचित-अनुचित का निर्णय देने वाली कहानी है ...। देबकू-जिंदू की प्रणय गाथा के रंगमंच नगरोटा गांव में लेखक को न जाने कितनी बार जाना पड़ा ।वहीं अपने अनुभव और बुद्धिबल के चातुर्य से उन्होंने जिस सूक्ष्म दृष्टि से इसका अवलोकन किया है । वह सराहनीय तो है ही साथ ही इस अतुल्य योगदान की साक्षी भी है ।
लोेक साहित्यकार जबिक कृष्णचंद्र महादेविया का कहना है कि देबकू: एक प्रेमकथा उपन्यास इतिहास, संस्कृति और प्रेम की अनूठी दास्तान है...। सत्य घटना पर आधारित जिस दौर का यह प्रेमाख्यान है, उस वक्त प्रेम करना और प्रेम पाना खालाजी का बाड़ा नहीं था ।
मंडी जनपद का गांव नगरोटा की यह प्रेम कहानी लोकगीत में महज कुछ पंक्तियों में ही वर्णित है ...तत्कालीन समय, समाज, स्थान ,संस्था, सत्ता-व्यवस्था का चित्रण कर देबकू :एक प्रेमकथा उपन्यास के रूप में प्रस्तुत कर इस प्रेमकथा को जैसे अमरता प्रदान कर दी ।
उपन्यास में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिमाचली संस्कृति की सोंधी-सोंधी महक प्रारंभ से अंत तक बराबर महकती और अंत तक एक लय सी गूंजती रहती है । वरिष्ठ साहित्यकार रेखा वशिष्ठ का कहना है कि यह उपन्यास वंचित प्रेम का अनूठा आख्यान है। जिस तरह से यह गीत लोकगीत के रूप में मंडी जनपद के बच्चे, बूढ़े और जवान की जुबान पर है। उसी तरह से अंग्रेजी के पाठकों के बीच विश्वभर में इस कृति का स्वागत होगा ऐसी उम्मीद है।
हिन्दुस्थान समाचार/ मुरारी/सुनील
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