हिमाचल ने आपदा की भरपाई के लिए सिक्किम, आसाम और उत्तराखंड की तर्ज़ पर मांगा केंद्रीय अनुदान
शिमला, 5 सितंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने राज्य में वर्ष 2023-24 के दौरान आई प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से शतप्रतिशत अनुदान के रूप में सहायता राशि प्रदान करने के लिए एक संकल्प पारित किया। यह संकल्प मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को सदन में पेश किया था। इस संकल्प पर गुरूवार को सदन में चर्चा हुई। संकल्प के अनुसार जिस प्रकार वर्ष 2024-25 के बजट में केंद्र सरकार ने तीन आपदा प्रभावित राज्यों सिक्किम, आसाम और उत्तराखंड के बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए अनुदान के रूप में सहायता दिए जाने की घोषणा की है, उसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में भी तीन राज्यों की तर्ज पर आपदा से भारी नुकसान हुआ था। इसलिए केंद्र हिमाचल को भी शतप्रतिशत सहायता राशि प्रदान करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट को सीधी सहायता देने के बजाय मल्टीलेटरल फंडिंग ऐजेंसी से बाह्य सहायता देने की बात कही है। यह सहायता 80ः20 के अनुपात में मिलती है और प्रदेश को इसमें अपना 28 फीसदी हिस्सा देना पड़ता है। यही नहीं, मल्टीलेटरल फंडिंग एजेंसी से बाह्य सहायता परियोजना के अनुमोदन में भी काफी समय लगता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मल्टीलेटरल फंडिंग ऐजेंसी से बाह्य सहायता देने में बहुत समय लग जाता है। अभी तक बीती सरकार की याेजनाएं ही पूरी नहीं हाे पाई हैँ अैार इस याेजना में प्रभाविताें काे समय पर सहायता नहीं मिल पाती।
इससे पहले नेता विपक्ष व राजस्व मंत्री जगतर सिंह नेगी के बीच इस चर्चा को दौरान नोक झोंक हो गई जिस पर विपक्ष अपना विरोध जताता हुआ सदन से बाहर चला गया। इसके बाद विपक्ष सदन में नहीं लौटा और चर्चा में भाग नहीं लिया। चर्चा में विधायक भवानी सिंह पठानिया ने भाग लिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा
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