हिमाचल में उपचुनाव के नतीजों से मजबूत हुई सुक्खू सरकार, नाकाम हुआ भाजपा का पैंतरा

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हिमाचल में उपचुनाव के नतीजों से मजबूत हुई सुक्खू सरकार, नाकाम हुआ भाजपा का पैंतरा




शिमला, 04 जून (हि.स.)। हिमाचल में कांग्रेस ने छह विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में चार सीटों पर जीत कर राज्य में अपनी पैठ मजबूत कर ली। वहीं विपक्षी भाजपा महज दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिला ऊना में कांग्रेस को सभी दो सीटों, मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर में एक सीट मिली है। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति की सीट भी कांग्रेस के खाते में गई है। वहीं भाजपा बड़सर और धर्मशाला में जीत दर्ज कर पाई है।

मुख्यमंत्री सुक्खू के लिए ये चुनावी नतीजे संजीवनी है। मौजूदा समय में 65 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 34 से बढ़कर 38 हो गई है, जबकि भाजपा 27 सीटों पर पहुंची है। विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाला था। इसके बाद इन्होंने कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन किया, जिस पर स्पीकर ने इन्हें अयोग्य ठहराया दिया और इनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी। इस सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों ने भाजपा का दामन थामा और भाजपा ने इन्हें उपचुनाव में टिकट दे दी। इस पर भाजपा के पूर्व प्रत्याशियों में आक्रोश देखा गया। लाहौल-स्पीति और धर्मशाला से भाजपा के पूर्व प्रत्याशियों ने टिकट कटने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा।

कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव में पूर्व विधायकों के करोड़ों में बिकने के आरोप लगाए। मुख्यमंत्री ने चुनाव प्रचार में धनबल बनाम जनबल को मुद्दा बनाया और लोगों से भाजपा प्रत्याशियों को हराने की अपील की।

भाजपा को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव के साथ विस उपचुनाव होने से उसे फायदा मिलेगा और उनके प्रत्याशियों की जीत होगी। लेकिन भाजपा की यह रणनीति धरी की धरी रह गई। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर अपने प्रचार में यह कहते रहे कि चार जून को सभी छह सीटों पर भाजपा की जीत के बाद हिमाचल में भी भाजपा की सरकार बनेगी। लेकिन वोटरों ने उपचुनाव में खुलकर कांग्रेस का साथ दिया और उनकी गारंटियों पर भरोसा जताया। उपचुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि मतदाताओं ने ओपीएस और महिला सम्मान निधि सहित कांग्रेस की अन्य गारंटियों का सम्मान करते हुए सुक्खू सरकार के 15 माह के कामों पर अपनी मोहर लगाई है। बड़ी बात यह है कि चार विस क्षेत्रों की जनता ने दल-बदल की संस्कृति को पूरी तरह नकार दिया है।

बहरहाल हिमाचल विधानसभा में संख्या बल पर सुक्खू सरकार पर अब राजनीतिक अस्थिरता का कोई खतरा नहीं है। मतदाताओं ने भाजपा की कांग्रेस के पूर्व विधायकों के सहारे सरकार को अस्थिर करने की रणनीति को विफल कर दिया। यह भी देखने में आया है कि विस उपचुनाव में वन वोट फ़ॉर पीएम और वन वोट फ़ॉर सीएम का नारा बुलंद हुआ और वोटरों ने लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मुद्दों जबकि विस उपचुनाव में स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी।

याद रहे कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 68 में से 40 सीटें जीती थीं। तब भाजपा ने 25 सीटें हासिल की थीं।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील

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