हिमाचल किसान यूनियन ने पुश्तैनी कब्जाधारकों को बेदखली से बचाने की उठाई मांग, सरकार से राहत नीति बनाने का आग्रह

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मंडी, 5 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल किसान यूनियन ने प्रदेशभर के किसानों, बागबानों और पशुपालकों को उनकी 40-50 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही पुश्तैनी कब्जाधारित भूमि से बेदखल किए जाने के विरोध में कड़ा रोष प्रकट किया है। संगठन ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रदेश सरकार और राजस्व विभाग से आग्रह किया है कि ऐसे गरीब परिवारों, जिनकी अधिकतम पांच विश्वा तक भूमि पर दशकों से मकान, गोहड, खलवाड़े, खेत और बगीचे बने हैं, उन्हें बेदखली से राहत दी जाए।यूनियन ने बताया कि वर्ष 2002 में सरकार द्वारा नाजायज कब्जे के नियमितीकरण हेतु फॉर्म भरे गए थे, जिन्हें बाद में स्थगित कर दिया गया। ऐसे में हजारों परिवार अनिश्चितता में हैं।

प्रदेशाध्यक्ष सीताराम वर्मा, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष तेजनाथ शर्मा और राज्य महामंत्री रोशन लाल शर्मा ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्थगन आदेश किसानों के लिए आशा की किरण हैं, लेकिन सरकार को एक स्थायी और जनहितैषी नीति बनाकर इन परिवारों को कानूनी सुरक्षा उपलब्ध कराना आवश्यक है।

किसान यूनियन ने सरकार से आग्रह किया है कि राजनीति से ऊपर उठकर प्रदेश के लाखों प्रभावित किसानों और गरीब परिवारों के हित में ऐसी पॉलिसी बनाई जाए, जिसमें अधिकतम पांच विश्वा तक की भूमि को नियमित किया जाए और आवश्यकता पड़ने पर भूमि की कीमत या बदली स्वीकार की जाए। संगठन ने कहा कि बेदखली से हजारों परिवार उजड़ने की कगार पर हैं, ऐसे में सरकार सहायता और संरक्षण देकर उन्हें बसाने की कृपा करे।

हिमाचल किसान यूनियन ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार संवेदनशीलता दिखाती है, तो प्रदेश का समस्त जनमानस मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और विधायकों का सदैव आभारी रहेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

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