भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज अधिक प्रासंगिक : राज्यपाल
शिमला, 23 मई (हि.स.)। किन्नौर, लाहौल-स्पीति बौद्ध सेवा संघ, शिमला तथा भारत-तिब्बत मैत्री संघ शिमला के संयुक्त तत्वावधान में वीरवार को शिमला स्थित दोर्जे डक बौद्ध बिहार, पंथाघाटी में भगवान बुद्ध की जयंती समारोह का आयोजन किया गया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
इस अवसर पर, राज्यपाल ने समस्त प्रदेशवासियों को बुद्ध जयंती की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध की करूणा, शांति और आत्मज्ञान की शिक्षाएं सदियों, संस्कृतियों और सीमाओं को पार कर लाखों लोगों को आंतरिक शांति और सार्वभौमिक भाईचारे के मार्ग पर प्रशस्त करती हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध का संदेश आज अधिक प्रासंगिक है क्योंकि हम आधुनिक दुनिया की जटिलताओं से जूझ रहे हैं, जो अक्सर संघर्ष, गलतफहमी और भौतिकवाद से भरा है।
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का जीवन और शिक्षाएँ आत्मनिरीक्षण, नैतिक जीवन और ज्ञान की खोज के महत्व पर जोर देती हैं। उनके द्वारा बताये गए अष्टांगिक मार्ग व्यक्तिगत और सामूहिक सद्भाव प्राप्त करने के लिए एक कालातीत रूपरेखा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत हमें अपने दुख का सामना करने, उसके कारणों को समझने और उस मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो दुख की समाप्ति की ओर ले जाता है।
राज्यपाल ने किन्नौर, लाहौल-स्पीति के बौद्ध समुदायों और भारत-तिब्बत मैत्री संघ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों ने बौद्ध धर्म की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह उत्सव भारत और तिब्बत के लोगों के बीच स्थायी मित्रता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी एक प्रमाण है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर यंगसी रिनपोचे को सम्मानित किया।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने भारतीय समुदाय से सहायक प्राचार्य डॉ श्रवण कुमार तथा तिब्बती समुदाय से भिक्षु शेडूप वांग्यल को भारत तिब्बत मैत्री सम्मान-2024 प्रदान किया।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/ उज्जवल
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