नशे के खिलाफ ठोस व बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत: राज्यपाल

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नशे के खिलाफ ठोस व बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत: राज्यपाल


नशे के खिलाफ ठोस व बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत: राज्यपाल


राजभवन में आयोजित ‘हिमाचल के प्रहरी’ सम्मान समारोह को राज्यपाल ने किया संबोधित

एनडीपीएस के मामलों का पता लगाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 18 लोग सम्मानित

शिमला, 27 जून (हि.स.)। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और नशे के अभिशाप से बचाने के लिए लोगों को सतर्क रहने का आहवान किया है। उन्होंने कहा कि इस खतरे का मुकाबला करने के प्रयासों के लिए एक ठोस और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें कानून प्रवर्तन, सामुदायिक जुड़ाव, शिक्षा और पुनर्वास शामिल हैं।

राज्यपाल गुरुवार को राजभवन में पुलिस विभाग की ओर से आयोजित ‘हिमाचल के प्रहरी’ सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने इस समारोह में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामलों का पता लगाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 18 लोगों को सम्मानित किया। राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल के इन प्रहरियों ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई में असाधारण प्रतिबद्धता और बहादुरी का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक गंभीर खतरा है, जो सीमाओं और जनसांख्यिकी से परे है। यह परिवारों को बाधित करता है, सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालता है और आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने समुदायों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के अभिशाप से बचाने के लिए सतर्क और सक्रिय होना चाहिए। इस खतरे का मुकाबला करने के प्रयासों के लिए एक ठोस और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें कानून प्रवर्तन, सामुदायिक जुड़ाव, शिक्षा और पुनर्वास शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल के तौर पर उन्होंने अपने 16 माह के कार्यकाल में देवभूमि में नशे के खिलाफ अपने आपको सक्रिय तौर पर जोड़ा है। उन्होंने बढ़ते नशे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव तक नशा पहुंच रहा है और अब लड़कियां तक ड्रग पैडलर बन रही हैं। उन्होंने कहा कि एनडीपीएस अधिनियम नशीली दवाओं की तस्करी और दुरुपयोग से निपटने के लिए हमारे शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस कानून की प्रभावशीलता न केवल अधिकारियों पर बल्कि जनता की सतर्कता और सहयोग पर भी निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि हम देवभूमि के उन प्रहरियों का सम्मान कर रहे हैं जिन्होंने अपने नागरिक कर्तव्यों से परे जाकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता करने में अनुकरणीय साहस और समर्पण दिखाया है। उनके प्रयासों ने न केवल अवैध गतिविधियों का पता लगाने और उन पर अंकुश लगाने में मदद की है, बल्कि नशा मुक्त समाज के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद की है। उन्होंने कहा कि प्रहरियों की जिम्मेदारी की भावना ने दूसरों के लिए अनुसरण करने के लिए एक मानक स्थापित किया है।

समारोह में पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा ने कहा कि पारंपरिक प्रवर्तन उपाय अकेले नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मूल कारणों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते। समस्या को उत्पन्न करने वाले सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से संबंधित कारणों को संबोधित करने के लिए व्यापक रणनीति की आवश्यकता को पहचानते हुए, हिमाचल प्रदेश के राज्य गुप्तचर विभाग ने एक बहुआयामी एंटी-ड्रग रणनीति का प्रस्ताव रखा है। यह रणनीति विभिन्न हितधारकों और संसाधनों को एकीकृत करती है ताकि इस संकट से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके और निकट भविष्य में हिमाचल प्रदेश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के संकट से मुक्त वातावरण बनाया जा सके।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्जवल/सुनील

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